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रंग लाए प्रयास, बच गई नवजात बच्ची की जान

locationबालाघाटPublished: Aug 31, 2017 11:52:00 am

Submitted by:

mukesh yadav

नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में कम वजन के बच्चों के उपचार की है बेहतर सुविधा

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बालाघाट. समय से पहले पैदा होने वाले 10 हजार बच्चों में एक बच्चे के बचने की ही संभावना होती है। जिला अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (एसएनसीयू) ने ऐसे ही एक समय से पहले पैदा हुए बच्चे को बचाने में सफलता हासिल की है। जिला अस्पताल प्रबंधन इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहा है।
मामला परसवाड़ा तहसील के ग्राम कोसमी की गीता बाई एवं रविचंद उईके की समय से पहले पैदा हुई बच्ची का है। इस दंपत्ति को विश्वास ही नहीं था कि उनकी बच्ची जीवित रह पाएगी। लेकिन जिला अस्पताल बालाघाट की नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (एसएनसीयू) के चिकित्सकों एवं समस्त स्टाफ के अथक परिश्रम से गीता एवं रविचंद की बच्ची को बचाने में सफलता हासिल हुई है। गीता एवं रविचंद के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
कम समय ही बच्ची का जन्म
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ निलय जैन ने बताया कि मां के गर्भ में 38 सप्ताह रहने के बाद बच्चे का जन्म होता है। कोसमी की गीता रविचंद उईके ने 30 जून 2017 को सामान्य प्रसव से बच्ची को जन्म दिया था। गीता की इस बच्ची का जन्म 26 सप्ताह में ही हो गया था और जन्म के समय उसका वजन मात्र 700 ग्राम था। बच्ची के समय से पहले जन्म लेने एवं अत्यंत कम वजन के होने के कारण बचने की संभावना नगण्य थी। एसएनसीयू के चिकित्सकों एवं स्टाफ इस बच्ची का त्वरित उपचार प्रारंभ कर दिया।
61 दिनों के बाद दी छुट्टी
बच्ची की स्थिति में लगातार सुधार होने पर अब उसे आक्सीजन नहीं दिया जा रहा है और वह चम्म्च से दूध पी रही है। 61 दिनों तक एसएनसीयू में भर्ती रहने एवं गहन देखरेख में रहने पर बच्ची अब एक किलोग्राम 330 ग्राम वजन की हो गई है। 30 अगस्त को बच्ची के माता-पिता की सहमति से अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
सबसे अच्छी है बालाघाट की एसएनसीयू
डॉ निलय जैन ने बताया कि यूनिसेफ विश्व स्वास्थ्य संगठन केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के सहयोग से नवजात बच्चों के उपचार के लिए प्रत्येक जिला अस्पतालों में (एसएनसीयू) बनाई गई है। बालाघाट की यह ईकाई आस-पास के क्षेत्रों में सबसे अच्छी है। यहां तक की पड़ोस के गोंदिया जिले में भी बालाघाट के स्तर की ईकाई नहीं है। गीता रविचंद उईके यदि प्रायवेट अस्पताल में अपनी बच्ची का उपचार कराते तो निश्चित रूप से 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आता। लेकिन यहां यह ईलाज नि:शुल्क दिया गया है। इस ईकाई में वर्तमान में 21 नवजात कम वजन के शिशु उपचार के लिए भर्ती है। इनमें से 5 शिशु जुड़वा है।

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