बालाघाट

सुरवाही शाला के प्रधानपाठक बैस ने पेश की नई मिसाल

बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने अपनी जमा पूंजी से खर्च किए 35 हजार

बालाघाटJan 24, 2020 / 03:02 pm

mukesh yadav

सुरवाही शाला के प्रधानपाठक बैस ने पेश की नई मिसाल

बालाघाट. कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो जरा तबियत से उछालो यारों। यही कहानी है शासकीय माशा सुरवाही में पदस्थ प्रधान पाठक एसके सिंह बैस की। प्रधान पाठक बैस ने अपनी शाला के बच्चों का भविष्य बेहतर और उज्जवल बनाने एवं शाला में अच्छा वातावरण निर्माण के लिए अपनी जमा पूंजी से 35 हजार रुपए की राशि खर्च कर एक मिसाल पेश की है। प्रधानपाठक बैस की यह पहल अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई है।
जिले के दूरस्थ एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा विकासखंड के ग्राम सुरवाही की माध्यमिक शाला में एसके सिंह बैस प्रधान पाठक के पद पर पदस्थ है। इनके द्वारा सत्य निष्ठा और समर्पित सेवा भाव से शाला में शिक्षण का कार्य किया जा रहा है। पहले यह शाला डी ग्रेड की शाला थी, लेकिन मेरी शाला मेरी जिम्मेदारी के तहत इनके द्वारा शाला और उसमें पढऩे वाले बच्चों की बेहतरी के लिए कार्य करते हुए आज यह शाला ए ग्रेड की शाला बनकर एक आइकॉन बन गया है।
प्रधान पाठक बैस द्वारा मेरी शाला मेरी जिम्मेदारी अभियान के तहत शालेय परिवेश, शौचालय एवं गांव की सड़कों में भी शाला समय के बाद सफाई की जाती है। छात्रों को संगीत सिखाने के लिए शाला में वाद्ययंत्रों का कलेक्शन रखा गया है। खेल के बगैर पढ़ाई अधूरी रहती है यह कह सकते हैं कि पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी है, इस बात को समझते हुए उन्होंने अपनी जमा पूंजी से 15 हजार रुपए की राशि खर्च कर शाला के खेल मैदान का समतलीकरण कराया है। पहले शाला का खेल मैदान उबड़ खाबड़ था, लेकिन अब वह समतल बना दिया गया है। शाला परिसर में हरियाली बनी रहे इसके लिए प्रधान पाठक बैस ने स्वयं की जमा पूंजी से 20 हजार रुपए खर्च कर हैंडपंप में मोटर लगवा दिया है। जिससे आज शाला का उपवन मुस्कुरा रहा है। प्रधान पाठक का पालकों से सतत सम्पर्क रहने के कारण शाला में बच्चों की उपस्थिति हमेशा 95 प्रतिशत से अधिक रहती है।
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