scriptतब दो माह के लिए गांव में कैद हो जाते हैं ग्रामीण | Then for two months the village gets imprisoned in the village | Patrika News

तब दो माह के लिए गांव में कैद हो जाते हैं ग्रामीण

locationबालाघाटPublished: Mar 18, 2019 12:46:10 pm

Submitted by:

mukesh yadav

चरेगांव से परसवाड़ा के बीच नहरा नदी पर नहीं बन पाया पुलशासन प्रशासन के दावों की खुल रही पोल, जिम्मेदार अंजान

samasya

तब दो माह के लिए गांव में कैद हो जाते हैं ग्रामीण

बालाघाट. संचार क्रांति और डिजीटल के इस युग में भी कुछ गांव ऐसे हैं, जहां के ग्रामीण सुविधाओं के अभाव में गांव में ही कैद होने मजबूर है। यह स्थिति तब है जब सरकार गांव-गांव सड़क, बिजली, पानी सहित तमाम सुविधाएं प्रदान किए जाने का ढिंढोरा पीटते थक नहीं रही है। शासन प्रशासन के ऐसे ही सारे दावों और वादों की पोल शहर के समीपस्थ के एक गांव में खुलते नजर आ रही है।
मामला परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कातोली का है। यहां नहरा नदी पर पुल नहीं होने से बारिश में दो माह तक के लिए ग्रामीण गांव में ही कैद हो जाते हैं। नदी में पानी भरा होने से ग्रामीणों का दूसरे गांव से पूरी तरह से संपर्क टूट जाता है। इससे गांव में किसी के बीमार होने या खासकर प्रसव पीड़ा होने पर ग्रामीणों की फजीहत हो जाती है। बेबसी के मारे ग्रामीणों को समय पर उपचार नहीं मिलने से असमय ही मौत काल के गाल में समाना पड़ता है। इसी तरह स्कूली बच्चे भी बारिश के दिनों में स्कूल नहीं जा पाते हैं। ऐसे एक से अधिक मामले भी यहां के ग्रामीणों की जुंबा पर है। जिन्हें ग्रामीण हर किसी समाजसेवी व जनप्रतिनिधि को बताने में रूंआदें हो जाते हैं।
गौरतलब हो कि ५० वर्ष पूर्व से गांव में करीब दो दर्जन से अधिक परिवार निवास कर रहे हैं। लेकिन नदी पर पुल बनाने किसी भी जनप्रतिनिधियों ने प्रयास नहीं किए। बताया गया कि इस नदी पर पुल बनने से चरेगांव से सीधे परसवाड़ा जा सकते हैं। जिससे करीब १५ किमी. की दूरी कम हो जाएंगी।
आगे पढ़ नहीं बच्चे
ग्रामीण युवाओं ने बताया कि गांव में स्कूल की सुविधा नहीं है। कक्षा आठवीं के बाद ८ किमी चरेगांव जाना पड़ता है। लेकिन आवागमन के साधन नहीं होने से बच्चे आगे पढ़ नहीं पाते है। बारिश में नदी में बाढ़ होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है जिसेस पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
इनका कहना है।
आगे पढऩे की चाह थी, लेकिन आवागमन के साधन नहीं होने से आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं कर पाया। नदी पर पुल का निर्माण आवश्यक है।
धीरसिंह धुर्वे, ग्रामीण युवा
बारिश के दिनों में नदी भरी होने से बीमार होने व प्रसव पीड़ा में अस्पताल नहीं जा पाते है। गांव में एम्बुलेंस वाहन भी नहीं आ पाता है।
सोनीबाई उइके, ग्रामीण

आवागमन के साधन नहीं होने से समय पर उपचार नहीं मिल पाने से बीमार व्यक्ति की असमय मौत हो जाती है। बारिश में गांव में कैद रह जाते हंै।
शीतलसिंह धुर्वे, ग्रामीण
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