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वनोपज हर्रा संग्राहकों को दिया गया प्रशिक्षण

locationबालाघाटPublished: Jul 20, 2019 08:33:49 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

लघु वनोपज संघ द्वारा आयोजित किया गया था प्रशिक्षण

balaghat

वनोपज हर्रा संग्राहकों को दिया गया प्रशिक्षण

कटंगी/तिरोड़ी. जंगल में लघु वनोपज गरीब परिवारों की आजीविका का महत्वपूर्ण साधन है। बस सयमं के साथ फल प्राप्त करने की जरूरत है। जंगल सोने के अंडे देने वाली मुर्गी के समान है। अगर कोई एक बार के फायदे के लिए जंगल या पेड़ को नष्ट कर देगा तो जीवन भर पछताना पड़ेगा। यह बातें उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ हरिओम सक्सेना ने कही। वे प्रशिक्षण कार्यक्रम में संग्राहकों को संबोधित कर रहे थे। शनिवार को तिरोड़ी स्थित विश्राम गृह में ट्राईफेड द्वारा पोषित एमएफपी-एफएसपी योजनान्तर्गत लघु वनोपज संघ द्वारा हर्रा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें उपवनमंडालाधिकारी, वन परिक्षेत्र अधिकारी हिमांशु राय सहित सभी सर्किल के परिक्षेत्र सहायक और वन रक्षक सहित बड़ी संख्या अलग-अलग समितियों के संग्राहक मौजूद रहे।
इस मौके पर हर्रा का संवहनीय विदोहन, संग्रहण एवं प्रसंस्करण विषय विशेषज्ञ डॉ हरिओरम सक्सेना ने संग्राहकों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि अब तक जंगल से संग्राहक किसी भी लघुवनोपज को लाकर सही जानकारी के अभाव में व्यापारियों को बेचता था। जिसका उसे सही परिश्रम मूल्य नहीं मिल पाता था। इसमें जाने-अनजाने संग्राहकों का शोषण होता था। लेकिन बीते 2 सालों से सरकार ने संग्राहकों के लिए योजना शुरू की है जिसके चलते संग्राहक अब अपनी किसी भी लघुवनोपज को अपनी दुकान (लघु वनोपज केन्द्र) में समर्थन मूल्य पर बेच सकते है। ऐसा करने से संग्राहक को वाजिब दाम भी मिलेगा। उन्होंने जंगल की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए कहा कि संग्राहकों को जंगल से किसी भी लघुवनोपज को संग्रहित करते वक्त जंगल की सुरक्षा का खास ध्यान रखना है। लघुवनोपज हासिल करने के लिए जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाना है। अगर, संग्राहक वर्तमान में अल्प फायदे के लिए जंगल को क्षति पहुंचाएगा तो भविष्य में लाभ नहीं मिल पाएगा। उन्होंने लघु वनोपज की तुड़ाई से लेकर संग्रहण की विस्तार से विधि समझाई। संग्राहकों को अधिक लाभ दिलाने के लिए भविष्य में बंधन केन्द्र भी बनाए जाएंगे। इसके पूर्व उन्होंने सरकार द्वारा लघु वनोपज बेलगुदा, शहद, कंरज, पलाश और कुसुम की लाख, नीम के बीज, साल, चार गुल्ली, महुआ गल्ली, बेहड़ा, नागरमोथा, चिरोजीं के बीज के समर्थन मूल्य की विस्तार से जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के दौरान वन परिक्षेत्र अधिकारी हिमांशु राय ने बताया कि लघु वनोपज खरीदी के लिए तिरोड़ी और महकेपार में लघु वनोपज केन्द्र यानि अपनी दुकानें स्थापित है। संग्राहक यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज विक्रय कर सकते है। संग्राहक भविष्य में बंधन केंद्र मे अपनी लघु वनोपज बेच सकेंगे। उपवनमंडलाधिकारी के हस्ते सभी को इकोफे्रंडली कपड़े के थैलों का वितरण किया गया।
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