नियम विरुद्ध खुले वाहनों से मृत जानवरों की ढुलाई
बालाघाटPublished: Jun 02, 2023 09:11:12 pm
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उड़ाया जा रहा मखौल
दृषित हो रहा माहौल, मानव जीवन पर पड़ रहा दुष्प्रभाव


नियम विरुद्ध खुले वाहनों से मृत जानवरों की ढुलाई
बालाघाट. शहर के वार्डो में मृत होने वाले मवेशियों (कुत्ता, बिल्ली, गाय, आदि) को खुले वाहनों में परिवहन कर ले जाया जा रहा है। प्रतिदिन दर्जनों मृत जानवरों को नपा के खुले वाहन से परिवहन करते देखा जा सकता है। इससे वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही इस लापरवाही का खामियाजा आमजनता को स्वास्थ्य के साथ समझौता कर चुकाना पड़ रहा है। खासबात यह है कि ऐसा कर नपा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की नाफरमानी कर रही है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत भी यह अपराध की श्रेणी में आता है। बावजूद इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं।
दूषित हो रहा वातावरण
खुले वाहनों में मृत जानकारों का परिवहन करने के दौरान सढ़ चुके इन मृत जानवरों की बेजा दुर्गंध आती है। जिसका सामना वार्डवासी सहित राहगीर व चालकों को भी करना पड़ता है। कई बार नपा के वाहन गुजरने के बाद लोगों को उल्टियां या जी मचलाने जैसी शिकायत भी होती है। नपा के इस खुले वाहन से वातावरण पूरी तरह से दुर्गंध फैल जाती है। स्थानीयजनों के मुताबिक नपा कर्मचारी मृत मवेशी को रखकर पूरे अन्य मृत जानवरों को उठाने शहर का चक्कर लगाते हैं। ऐसे में जहां-जहां से वाहन गुजरता है वहां खड़े रहना भी शहरवासियों का मुश्किल हो जाता है।
बीमारियां फैलने की आशंका
खुले वाहन से मृत जानवरों के परिवहन मामले में कुछ जागरुक लोगों ने शिकायत भी की है। जिसमें उन्होंने बताया कि नपा के इस कृत्य से घातक बीमारी व महामारी फैलने की आशंका भी बन रही है। आमजन इस मामले में कुछ देर की समस्या है सोचकर खामोश रह जाते हैं। जबकि नियमानुसार मृत मवेशियों का परिवहन बंद वाहनों में किया जाना चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मानव स्वास्थ्य, जीव-जंतुओं और यहां तक कि पर्यावरण तथा जमीन के लिए भी घातक साबित होने वाले मृत मवेशी व अपशिष्ट पदार्थो का निपटान रिहायसी क्षेत्र से 10 किमी. दूर करने का प्रावधान है। यहीं नहीं कचरा व मृत जानवरों के परिवहन के लिए लीकप्रुफ वाहनों का इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन इसके विरुद्ध नपा शहर से महज पांच किमी. दूर गर्रा जैसे रिहायसी क्षेत्र में और खुले वाहनों में मृत जानवरों का परिहवन कर रहा है। खुले स्थान में ही उन्हें फेंका जा रहा है।
जुर्माना व कारावास का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के विरुद्ध अपशिष्ट पदार्थो का निपटान करने वाले व्यक्ति या संस्था पर जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है। जानकारों की माने तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 5 वर्ष के कारावास एवं एक लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। यदि इसके बावजूद भी प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो यह सजा सात वर्ष तक की भी हो सकती है।
वर्जन
नपा कर्मचारी वार्डवासियों की समस्या हल करने ही मृत मवेशियों को उठाकर अन्यत्र स्थान पर दफनाते हैं। नपा में डिब्बा बंद वाहन भी हैं हम उससे मवेशियों का निपटाए जाने की व्यवस्था बनवाते हैं।
निशांत श्रीवास्तव, नपा सीएमओ