दो वक्त के राशन के लिए तीस किमी का कर रहे सफर
आदिवासी अंचल में नेटवर्क फेल होने से मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना
आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल इंडिया का डिजिटल सिस्टम फेल
बालाघाट
Published: April 23, 2022 09:37:01 pm
बालाघाट. दो वक्त के राशन के लिए आदिवासियों को तीस किमी का पैदल सफर तय कर रहे हैं। अप्रैल माह की भीषण गर्मी के आखिरी सप्ताह में भी ग्रामीण कच्चे पक्के रास्तों से पैदल व अन्य साधनों से राशन के लिए सफर तय करते हैं। बावजूद इसके ग्रामीणों को कभी राशन नहीं मिल पाता तो कभी बैरंग लौटना पड़ता है। दरअसल, जिले के आदिवासी अंचल बैहर, बिरसा, लांजी के आदिवासी दुर्गम गांवों में नेटवर्क की बड़ी समस्या चुनौती बनकर आज भी खड़ी है। जिसके कारण मुख्य मंत्री राशन आपके द्वार जैसी योजना भी फेल साबित हो रही है।
जानकारी के अनुसार जिले के आदिवासी अंचल के कुर्रेझरी गांव में सोसायटी नहीं है। इस गांव में नेटवर्क की समस्या है। जिसके चलते यहां के ग्रामीणों को करीब १५ किमी की दूरी तय कर राशन लेने के लिए लातरी आना पड़ता है। इसी तरह आदिवासी ग्राम बोड़की, हर्रा, डोंगरिया, मांडवा, गंजेसरा, जालदा जैसे ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां के ग्रामीणों को राशन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इधर, आदिवासी क्षेत्रों में बैगा समुदाय सहित अन्य लोग राशन लेने तीस से पचास किमी का सफर तय करते हैं जिसको संज्ञान में लेते हुए मध्यप्रदेश शासन ने मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना शुरु की है। लेकिन नेटवर्क की कमी के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीण चमारसिंग वरकड़े, भोंवरसिंग धुर्वे, हरेसिंग उमड़े, सेहस्ता टेकाम, रहमत टेकाम, कुंवसिंग धुर्वे, जीतुलाल, दलसिंग मरकाम सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें राशन लेने के लिए आज भी मिलो सफर तय करना पड़ता है। यह सफर भी वे पैदल ही तैय करते हैं। वहीं राशन दुकान से राशन लेने के बाद वे देर शाम घर लौटते हैं। लेकिन इन ग्रामीणों को उस समय सबसे अधिक खराब लगता है, जब वे शाम तक राशन दुकान में रहने के बाद सेल्समेन कहता है कि आज राशन नहीं मिल पाएगा और नेटवर्क समस्या के चलते बैरंग लौटना पड़ता है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है। बावजूद इसका अभी तक स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।
परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रामकिशोर से समाजसेवी हितेश अजीत ने पिछले साल आदिवासियों की अनाज की समस्या पर ध्यान आकृष्ट कराया था। तब मंत्री रामकिशोर कावरे ने मामले की गंभीरता को समझते हुए आदिवासी बाहुल्य गांवों में राशन दुकान के नहीं खुलने तक चलित वाहन से राशन पहुंचाने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था। उसके बाद मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना आई, लेकिन नेटवर्क की समस्या के चलते दर्जनों गांवों में इस महत्वाकांक्षी योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

दो वक्त के राशन के लिए तीस किमी का कर रहे सफर
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