सच्चा समर्पण ही भक्ति की पहचान
बालाघाटPublished: Jan 27, 2019 03:34:20 pm
अंबेझरी में संगीतमय भागवत कथा ज्ञानयज्ञ जारी-
सच्चा समर्पण ही भक्ति की पहचान
कटंगी/तिरोड़ी। क्षेत्र की तिरोड़ी तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत अंबेझरी में सरपंच सुखदेव सलामें एवं अंबेझरी तथा खैरलांजी के ग्रामीणों के सहयोग से संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया है। अंबेझरी में कथावाचक देवी श्यामावती ठाकुर ने गुरुवार को भरत चरित्र, अजामिल एवं प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने कथा में कहा कि अभिमान जब नष्ट हो जाए तो, भक्ति आरंभ होती है। भगवान भक्ति में सबसे बड़ी बाधा अभिमान है। भक्तों ने अपने अभिमान को नष्ट करके ही भगवान को प्राप्त किया है। धुव्र प्रहलाद जैसे भक्तों के चरित्र से हमें यही ज्ञान प्राप्त होता है। सच्चा समर्पण ही भक्ति की पहचान है।
उन्होंने कहा कि भक्त प्रहलाद परमात्मा के सच्चे अनुयायी थे। उनके ऊपर काफी जुल्म ढहाए गए। होलिका भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी। होलिका तो जल गई, पर भक्त प्रहलाद बच गए। उन्होंने कहा कि भक्ति में महान शक्ति होती है। कथा श्रवण मात्र से ही लोगों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए जीवन में हर इंसान को कथा का श्रवण करना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि राजा हिरण कश्यप खुद को भगवान समझता था। प्रजा को भी वह उन्हें भगवान मानने के लिए दबाव डालता था। लेकिन हिरण कश्यप का पुत्र प्रहलाद विष्णु को ही भगवान मानता था। प्रहलाद के इस भक्ति भाव से हिरण कश्यप चिढ़ता था। एक दिन हिरण कश्यप ने प्रहलाद से पूछा कि तुम्हारा भगवान विष्णु कहा रहता है। प्रहलाद ने एक खंबे की ओर इशारा करके कहा कि मेरा भगवान हर जगह है। आक्रोश में आकर हिरण कश्यप ने उस खंबे को तोडऩे का प्रयास किया। खंबे के भीतर से ही भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण कश्यप का वध किया। जिस प्रकार हिरण कश्यप प्रहलाद के ऊपर घोर अपराध किए व मारने का अथक प्रयास किया लेकिन भक्तों का मान रखने वाले भगवान ने उसके सारे प्रयास विफल कर दिए और अपने भक्त की रक्षा की। कथा व्यास ने कथा के बीच-बीच में प्रभु का जयघोष किया। वहीं भजनों पर श्रद्धालु भावविभोर होकर नृत्य करते रहे।