विजया दशमी पर्व 5 को : नए राम मंदिर से निकलेगा चल समारोह, 50 फीट रावण का होगा दहन
बालाघाटPublished: Oct 04, 2022 10:33:13 pm
40 किलो वजनी मुकुट लेकर निकलेंगे हनुमान साधकमहावीर सेवा दल ने तैयारियां की पूरीपानीपत सोनीपत की तर्ज पर बालाघाट में मनाया जाता है दशहरा पर्व
विजया दशमी पर्व 5 को : नए राम मंदिर से निकलेगा चल समारोह, 50 फीट रावण का होगा दहन
बालाघाट. विजया दशमी दशहरा पर्व को लेकर जिले भर में तैयारियां अपने अंतिम दौर में चल रही है। दशहरा पर्व पर 5 अक्टूबर को बालाघाट मुख्यालय में करीब 50 फीट ऊंचे दशानन का दहन स्थानीय उत्कृष्ट विद्यालय के खेल मैदान में किया जाएगा। दशहरा पर्व को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां अपने अंतिम दौर पर है। इधर, महावीर सेवादल समिति ने भी चल समारोह के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली है। मंगलवार को स्थानीय नए श्रीराम मंदिर के समीप चल समारोह के लिए हनुमान साधक ने अंतिम रिहर्सल की। पानीपत सोनीपत की तर्ज पर मनाए जाने वाले इस दशहरा पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है।
दशहरा पर्व पर नए श्रीराम मंदिर से भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा का मुख्य आर्कषण का केन्द्र राम भक्त हनुमान की भूमिका है। इस बार हनुमान साधक के रुप में विक्रम त्रिवेद 40 किलो वजन का अष्ठधातु से बना मुकुट शीर्ष पर धारण कर शोभायात्रा में शामिल रहेंगे। शोभायात्रा राममंदिर से प्रारंभ होकर हनुमान चौक स्थित हनुमान मंदिर व दुर्गामंदिर में पहुंच पूजा अर्चना कर रवाना होगी। जो जय वीर महावीर, जय-जय श्रीराम के जयघोष के साथ नगर के महावीर चौक, राजघाट चौक, कालीपुतली चौक, आ बेडकर चौक होते हुए रावण दहन स्थल उत्कृष्ट विद्यालय के खेल मैदान पहुंचेगी। जहां पहले से तैयार लंकापति रावण व कुंभकरण सहित मेघनाथ के पुतला का दहन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि देश प्रदेश में प्रख्यात जिले के दशहरा उत्सव जिसका मुख्य आकर्षण चल समारोह होता है। जिसमें प्रतिवर्ष एक हनुमान भक्त परिवार से दूर रहकर 40 दिनों का कठोर तप नए श्रीराम मंदिर में गुरू पूर्णिमा से रहकर ही करता है। वहीं दशहरा चल समारोह में अपने शीर्ष पर 40 किलो वजनी मुकुट जो कि पानीपत से बुलवाया गया है को धारण करता है। जिसका पूजन नवरात्र की एकम तिथि से विधि विधान पूर्वक किया जाता है। यह परंपरा पानीपत हरियाणा की तर्ज पर आयोजित होती है। हनुमान साधक के दर्शन करने ही प्रतिवर्ष चल समारोह व उत्कृष्ट स्कूल मैदान में करीब 20 हजार लोग उत्सव में शामिल होते हैं।
40 दिनों तक किया ब्रम्हचर्य व्रत का पालन
इस वर्ष हनुमान साधक के रुप में विक्रम त्रिवेदी ने 40 दिनों तक ब्रम्हचर्य व्रत का पालन किया। वहीं कठोर तप भी किया। नवरात्रि प्रारंभ से दशहरा तक नए श्री राम मंदिर में रहकर ही प्रभु श्रीराम व हनुमान का ध्यान व भक्ति की। रोजाना पूजा-अर्चना और देवी-देवताओं के दर्शन के अलावा विक्रम त्रिवेदी केवल भक्तिभाव में ही लीन रहे।
बारिश से हो सकती है परेशानी
दशहरा पर्व के दौरान बेमौसम बारिश परेशानी खड़ी कर सकती है। दरअसल, मंगलवार को शाम 4 बजे के बाद से जिले में बेमौसम बारिश हुई है। जो देर रात्रि तक होते रही है। बुधवार को भी बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में दशहरा का चल समारोह थोड़ा फीका हो सकता है।