रोड नहीं तो वोट नहीं, 40 गांव के ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
बालाघाटPublished: Sep 10, 2023 09:54:14 pm
पांच वर्ष में भी पूरी नहीं हो पाई 36 किमी सडक़
सडक़ के अधूरे निर्माण से आक्रोशित हैं ग्रामीण
नक्सल प्रभावित डाबरी, चौरिया, चिलौरा सडक़ मार्ग का मामला


बालाघाट. रोड नहीं तो वोट नहीं। जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 40 गांव के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। अधूरे सडक़ निर्माण से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। ठेकेदार ने पांच वर्ष में भी 36 किमी सडक़ को पूरी नहीं कर पाया है। मामला जिले के नक्सल प्रभावित डाबरी, चौरिया, चिलौरा सडक़ मार्ग का है।
जानकारी के अनुसार डाबरी, चौरिया, चिलौरा से घोटी-लांजी पहुंच मार्ग की दूरी करीब 36 किमी है। जबकि डाबरी से बालाघाट की दूरी करीब 100 किमी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण बालाघाट आने की बजाए लांजी ज्यादा आवागमन करते हैं। लेकिन मार्ग के सही नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है। वर्ष 2018 में इस मार्ग को स्वीकृति मिली। मार्ग का निर्माण कार्य करीब 21 करोड़ रुपए की लागत से होना है। ठेकेदार को 28 फरवरी 2018 को कार्य आदेश जारी किया गया था। इसके बाद ठेकेदार ने आधे हिस्से में निर्माण कार्य शुरु कर दिया था। चौरिया, चिलौरा घाट का हिस्सा बचा हुआ है। यह मार्ग आवागमन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मार्ग से क्षेत्र के करीब 40 गांव जुड़े हुए हैं। ठेकेदार की लापरवाही के चलते पांच वर्ष में भी सडक़ का निर्माण कार्य नहीं हो पाया है। अब ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी है।
इन गांवों के ग्रामीणों को हो रही है परेशानी
पक्की सडक़ का निर्माण नहीं होने से नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम डाबरी, लातरी, सोधनडोंगरी, पितकोना, दडक़सा, जैतपुरी, बिलालकसा, मुंडा, चौरिया, चिलोरा, गौझोला सहित अन्य गांव शामिल है। ग्रामीणों के अनुसार इस मार्ग के खराब होने के कारण उन्हें लांजी पहुंचने में काफी परेशानी होती है। बारिश के दिनों में कहीं पुल का एप्रोच मार्ग धसक जाता है तो कहीं रोड जर्जर हो जाती है। ऐसे मार्ग में ग्रामीण बमुश्किल आवागमन कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं इस मार्ग से चौपहिया वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है। इस समस्या के चलते बारिश के दिनों में दो दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों का अन्य क्षेत्रों से सडक़ संपर्क भी टूट जाता है।
वर्ष 2009-10 में बनी थी डब्ल्यूबीएम सडक़
नक्सल प्रभावित क्षेत्र पित्तकोना से चौरिया-चिलौरा मार्ग का निर्माण कार्य वर्ष 2009-10 में भी किया गया था। इस दौरान यहां पर डब्ल्यूबीएम सडक़ बनाई गई थी। इसके बाद वर्ष 2012-13 में इस सडक़ की पुन: मरम्मत कराई गई थी। इन दोनों ही कार्यों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन सडक़ की स्थिति अब काफी जर्जर हो चुकी है। इसके बाद वर्ष 2018 में यह मार्ग पुन: स्वीकृत हुआ। करीब 36 किमी पक्की सडक़ का निर्माण होना है। इसकी लागत 21 करोड़ रुपए है।
करेंगे चुनाव का बहिष्कार
ग्राम पंचायत दडक़सा सरपंच फुलसिंह मेरावी, ग्राम पंचायत डाबरी सरपंच चुन्नीलाल उइके, धुनधुनवार्धा सरपंच चैनसिंह पुसाम, सोनगुड्डा के पूर्व सरपंच तातु सिंह धुर्वे, दड़ेकसा का पूर्व सरपंच चंदन उइके, पितकोना निवासी सुमरत सहित अन्य ने बताया कि ठेकेदार ने पांच वर्ष में भी सडक़ का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है। बारिश के दिनों में ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। शिकायत करने के बाद भी जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। जब तक मार्ग का निर्माण नहीं हो जाता तब तक क्षेत्र के सभी ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
इनका कहना है
यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मार्ग का निर्माण कराया जाना उनकी प्राथमिकता में है। चुनाव बहिष्कार को लेकर ग्रामीणों से चर्चा की जाएगी। उन्हें समझाइश दी जाएगी।
-डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, कलेक्टर, बालाघाट