अजनबियों को देख घरों में कैद हो रहे थे ग्रामीण
बालाघाटPublished: Jun 22, 2021 09:46:54 pm
टीकाकरण से किया था किनारा, समझाइश के बाद लगवाई वैक्सीन, अधिकारी ने ग्रामीणों के सामने टीका लगवाकर दूर किया भ्रम
अजनबियों को देख घरों में कैद हो रहे थे ग्रामीण
बालाघाट/बिरसा. अजनबियों को देख ग्रामीणों का घरों में कैद हो जाना। उनसे कोई बातें नहीं करना और बातें भी की तो बहुत कम। ये स्थिति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले गांवों की बनी हुई है। इसका ताजा मामला २१ जून को हुए वैक्सीनेशन महा अभियान के दौरान देखने को मिला। दरअसल, वैक्सीनेशन को लेकर आदिवासियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, बाद में अधिकारियों की समझाइश के बाद न केवल ग्रामीणों का भ्रम दूर हुआ, बल्कि उन्होंने वैक्सीन भी लगवाई। आदिवासी ग्रामीणों के मन में फैले भ्रम को दूर करने के लिए पहले अधिकारियों ने उनके सामने स्वयं वैक्सीन लगवाई। इसके बाद ग्रामीणों ने वैक्सीन लगवाई।
जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत बिरसा से अधिकतम दूरस्थ स्थान नक्सल प्रभावित क्षेत्र डाबरी सोनगुड्डा में वैक्सीनेशन को लेकर ग्रामीणों में अलग-अलग भ्रांतियां थी। ग्रामीण जनता में भ्रम था कि कर्मचारियों-अधिकारियों को अलग वैक्सीन लगाई जाती है और ग्रामीणों के लिए अलग वैक्सीन है। यही कारण था कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग वैक्सीन लगाने से डर रहे थे। डाबरी स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण वैक्सीन नहीं लगा रहे थे। मुश्किल से तीन या चार ग्रामीण वैक्सीन लगाते थे, जिससे वैक्सीन भी खराब हो रही थी। ग्रामीणों का भ्रम तोडऩे के लिए जनपद पंचायत सीईओ अजीत बर्वे और उपयंत्री संजय रोडगे के द्वारा डाबरी पहुंचकर आसपास के लगभग 12 ग्रामों का भ्रमण किया गया। इसी दौरान सीईओ अजीत बर्वे ने ग्रामीणों को समझाया कि कोरोना एक वायरस है, जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। यह वायरस शहर और ग्रामीण क्षेत्र में भी फैल चुका है। जिस के बचाव के लिए वैक्सीन लगाना आवश्यक है। शासन द्वारा इसे निशुल्क लगाया जा रहा है। जिससे आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकता है। सेक्टर प्रभारी संजय रोडगे द्वारा भी वैक्सीन लगवाने ग्रामीणों को आश्वस्त किया और ग्रामीणों को एकत्रित कर स्वास्थ्य केंद्र डाबरी में एक बैठक आयोजित की गई। ग्रामीणों को वैक्सीन के फायदों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद सेक्टर प्रभारी संजय रोडगे द्वारा स्वयं वैक्सीन लगवाई। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों को पुन: बताया कि वही वैक्सीन ग्रामीणों को भी लगवाई जा रही है। इसके बाद ग्रामीणों का भ्रम टूटा और उनका विश्वास जागा। अधिकारियों की समझाइश के बाद करीब 60 ग्रामीणों ने वैक्सीन लगवाई।
ग्रामीणों में है जागरुकता की कमी
जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ऐसे दर्जनों गांव हैं, जो आज भी विकास से कोसों दूर हैं। ग्रामीणों को बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण आज भी वैसा ही जीवन-यापन कर रहे हैं, जैसा वे आजादी के पहले कर रहे थे। अशिक्षा के चलते ग्रामीणों में जागरुकता की कमी है। शहरी क्षेत्रों से उनका जुड़ाव काफी कम है। ऐसे में उन्हें वैक्सीनेशन क्या है और इसके क्या फायदे हैं इसके बारे में जानकारी नहीं है। इधर, घने जंगलों के बीच बसे ऐसे गांव में टोले होते हैं, मकान भी एक-दूसरे से काफी दूर होते हैं। जिसके कारण उनका संपर्क अन्य लोगों से भी कम होता है। प्रशासन द्वारा जागरुकता के प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन आदिवासी अंचलों में इसका असर कम ही देखने को मिलता है।