जल है तो कल है फिर भी नपा को तालाबों की नहीं फ्रिक
बालाघाटPublished: May 08, 2019 07:57:56 pm
नगर में पेयजल संकट आज सभी नागरिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है।
जल है तो कल है फिर भी नपा को तालाबों की नहीं फ्रिक
कटंगी। नगर में पेयजल संकट आज सभी नागरिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है। नगर में तीन बड़े तालाब होने के बावजूद स्थिति ऐसी है कि कई वार्डो में टैंकरों से पानी सप्लाई करना पड़ रहा है। शहर के 50 प्रतिशत हिस्से में पानी की किल्लत है। दरअसल, इसका प्रमुख कारण नगर में बढ़ती आबादी और शहर के प्राकृतिक जल स्त्रोत तालाबों का तेजी से नष्ट होना है। इन तालाबों की बर्बादी में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता हावी है। राज्य सरकार ने करीब 6 महीने पहले ही तालाबों के जीर्णोद्धार एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 2 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। मगर, नगर परिषद फाईलों से आगे ही नहीं बढ़ पाई है। गौरतलब हो कि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट और सरकार ने देश भर के तालाबों के संरक्षण को लेकर चिंता जाहिर की है। बावजूद इसके यहां नगर में धरातल पर तालाबों का अस्तित्व मिटता ही जा रहा है। बोतल बंद पानी पीने वाले नेता और अफसर इन तालाबों को मिटता देख तमाशबीन बने बैठे है। बहरहाल, इन तालाबों की बेफिक्री भविष्य में घोर पेयजल संकट के संकेत दे रही है। बताना जरूरी है कि नगर परिषद शहर की प्यास बुझाने के लिए 11 करोड़ रुपए खर्च कर सावंगी चंदन नदी से पानी लाने की योजना पर जल्द ही काम शुरू कर सकती है। लेकिन चंदन नदी खुद पानी को तरस रही है। ऐसे में इन तालाबों को जीवित करना बेहद जरूरी है। फिलहाल तो इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है।
भीषण गर्मी में पानी पाताल में पहुंच गया है। नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी तथा लापरवाही के कारण तालाब सूख गए है। शहर में पानी की समस्या के मुद्दे पर प्रशासन गंभीर नहीं है। इधर गर्मी चरम पर है, साथ ही पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। कई इलाके में ग्राउंड वाटर लेवल 300 फीट से नीचे जा चुका है। सरकारी तालाबों पर अतिक्रमण तक पसरा हुआ है। मगर, प्रशासन ना तो अतिक्रमण हटा रहा है और ना ही तालाबों की सफाई करवा रहा है। जानकारों की माने तो तालाब बचाने से पानी की समस्या दूर हो सकती है। लेकिन अभी यह तालाब अस्तित्व विहीन हो चुके हैं। नगर के सभी तालाबों के 90 फीसदी हिस्से सूख चुके हैं।
मिटने की कगार पर तालाब
जानकारी अनुसार करीब दो दशक से इन तालाबों की साफ-सफाई एवं गहरीकरण नहीं हो पाया है। नगर के मुंदीवाड़ा रोड पर स्थित तालाब का कुल क्षेत्रफल 29 एकड़ है, जबकि बड़ा तालाब 36 एकड़ में फैला हुआ है। करीब डेढ़ सौ साल पुराने इन तालाब अब मिटने की कगार पर है। मुंदीवाड़ा तालाब में जरूर सौन्दर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपए की राशि खर्च की गई। बावजूद मामला सिफर है। नगरवासियों ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराते हुए इन तालाबों की शीघ्र साफ-सफाई एवं गहरीकरण कराने की मांग की है।