जंगलों में सूख रहे जलस्रोत, गांवों की ओर आ रहे वन्य जीव
नदी, नालों में नाम मात्र का बचा है पानी
गांवों की ओर वन्य जीवों के आने से ग्रामीणों में बढ़ रहा है खतरा
बालाघाट
Updated: April 17, 2022 09:53:09 pm
बालाघाट/लालबर्रा. जंगलों में सूखते जल स्रोत, नदी-नालों नजर आती रेत। गड्ढंों दिखती मिट्टी। कुछ इस तरह के हाल अब जंगलों में बने हुए हैं। तापमान अधिक होने से जहां जलस्रोतों में पानी की कमी हो रही है। वहीं वन्य जीवों को भोजन भी नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि ये वन्य जीव गांवों की ओर अपना रुख कर रहे हैं। ऐसे में हिंसक वन्य जीव पालतु मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं या फिर ग्रामीणों पर हमला बोल देते हैं। ताजा मामला वन विकास निगम लामता परियोजना मंडल बालाघाट परिक्षेत्र लालबर्रा की सीमा में कंजई से भांडामुर्री के सागर तालाब के पास लिपटन वन में बाघ ने एक ग्रामीण पर हमला कर दिया था। जिसकी बाद में उपचार के दौरान मौत हो गई। इस तरह से ग्रीष्म ऋतु आते ही वन्य जीवों के हमले के प्रकरणों में इजाफा होने लगता है।
जानकारी के अनुसार लालबर्रा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत वन्य जीवों की चहलकदमी वाले १३ बीट आते हैं। इन १३ बीटों में ११ बीटों में हिंसक वन्य जीव बाघ और तेंदुए का मूवमेंट अधिक हैं। हालांकि, अन्य वन्य जीव भी इन क्षेत्रों में अपनी चहलकदमी करते हैं। चुंकि यह क्षेत्र पेंच नेशनल पार्क के कॉरीडोर में आता है। जिसके कारण यहां पर वन्य जीवों की अधिकता है। वहीं सोनेवानी के जंगल में भी वन्य जीवों की अधिकता को देखते हुए वहां पर दिन और रात में सफारी भी शुरू करवा दी गई है। इधर, ग्रीष्म ऋतु में वन्य जीवों के लिए पानी की कमी दूर करने वन विभाग द्वारा वाटर ***** भी बनाए हैं। ताकि वन्य जीव पानी के लिए गांव की ओर अपना रुख न कर सकें। लेकिन बढ़ते तापमान और गिरते भू-जल स्तर के कारण इन वाटर ***** में भी पानी कम होने लगा है। जिसके कारण वन्य जीवों को पानी और भोजन के लिए गांवों की ओर आना पड़ रहा है।
पानी की तलाश में आ रहे गांव की ओर
ग्रीष्म ऋतु के दस्तक देते ही जहां जंगलों में पानी कम होना लगा है। वहीं वन्य जीवों को भोजन भी कम ही मिल पा रहा है। जिसके कारण वन्य जीव भोजन व पानी की तलाश में गांव की ओर आते हैं। मौजूदा समय में किसानों द्वारा खेतों में रबी की फसल लगाए हुए हैं। ऐसे में किसानों द्वारा फसल की सिंचाई करते हैं। जिसके कारण खेतों के समीपस्थ बने नालों, नदियों में कुछ मात्रा में पानी रहता है। इन्हीं पानी से अपनी प्यास बुझाने के लिए वन्य जीव जंगलों से गांव की ओर पहुंच जाते हैं। ऐसे में या तो वन्य जीवों का शिकार कर लिया जाता है या फिर हिंसक वन्य जीव ग्रामीणों पर हमला बोल देते हैं। खासतौर ग्रीष्म ऋतु में हिंसक वन्य जीवों के ग्रामीणों पर हमला करने के प्रकरणों की संख्या में इजाफा हो जाता है।
लालबर्रा क्षेत्र के ११ बीटों में तेंदुए, बाघ का है मूवमेंट
वन परिक्षेत्र लालबर्रा के अंतर्गत १३ बीट में ११ बीटों में हिंसक वन्य जीव बाघ और तेंदुए के मूवमेंट सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है। वन विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में वन्य जीवों की हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। वन्य जीवों की मूवमेंट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लालबर्रा वन परिक्षेत्र में काफी संख्या में वन्य जीव है। खासतौर पर ग्रीष्म ऋतु के दिनों में यह मूवमेंट और अधिक बढ़ जाता है। दरअसल, ग्रीष्म ऋतु में वन्य जीव जंगलों से गांव की ओर अपना मूवमेंट कर लेते हैं। जिसके चलते वन्यजीवों की गांव के पास चहल कदमी और अधिक बढ़ जाती है।

जंगलों में सूख रहे जलस्रोत, गांवों की ओर आ रहे वन्य जीव
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
