२५ साल बाद वैनगंगा नदी में जल का जलजला
बालाघाटPublished: Sep 09, 2019 09:18:13 pm
१९९४ के बाद वैनगंगा नदी हुई खतरे के निशान के उपरएक किमी से अधिक लंबा लगा रहा जामव्यवस्था बनाने तीन थानो सहित रक्षित केन्द्र का तैनात किया गया पुलिस बल दिनभर चला वैनगंगा के प्रचंड रूप के दीदार का दौर
बालाघाट. सोमवार का दिन शहरवासियों के लिए कई मायनों में एतिहासिक दिन रहा। सन् १९९४ से आज ०९ सितंबर को २५ साल बाद जिले की जीवन दायनी मॉ वैनगंगा नदी को खतरे के निशान से उपर बहते हुए देखा गया। इस दृश्य के दीदार करने हर कोई लालायित नजर आया। परिणाम स्वरूप नदी की ओर जन सैलाब उमड़ पड़ा। स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी घोषित होने से कई स्कूल और निजी महाविद्यालय के विद्यार्थी व पूरा स्टॉप, परिवार सहित वाहनों से वैनगंगा नदी पहुंचे। करीब दस हजार से अधिक की संख्या और दो हजार से अधिक छोटे-बड़े वाहनों की आवाजाही होने से पुलिस लाइन चौक से पुल की दूसरी तरफ गर्रा टोल टैक्स नाके तक करीब एक किमी. से अधिक लंबा जाम निर्मित हो गया। इस जाम में शहरवासी घंटों रेंगते नजर आए तब कहीं जाकर वैनगंगा नदी के प्रचंड लेकिन विहंगम दृश्य के दीदार हो पाए।
इस दृश्य और पल को यादगार बनाने हर कोई मोबाइल से सेल्फी लेता नजर आया। घंटों जाम के बाद बिगड़ती यातायात व्यवस्था के चलते पुलिस प्रशासन ने तीन थानों सहित रक्षित केन्द्र से अतिरिक्त पुलिस की तैनाती की। जिन्होंने पूरे जाम में सड़क के दोनों ओर खड़े होकर आवागमन की व्यवस्था बनाई। दोपहर बाद गर्रा बड़े पुल पर व्यवस्था गड़बड़ाने पर पुलिस को हालात संभालने लोगों को चले जाने की हिदायत देते भी देखा गया। ताकि बाद में पहुंच रहे लोगों को भी आसानी से नदी का नजारा दिख सकें। शहर के बुजुर्ग वर्ग के मुताबिक यह दिन यादगार रहा। इसके पूर्व सन् १९७२, फिर १९८४ इसके बाद १९९४ के बाद सोमवार को वैनगंगा नदी पानी से लबरेज नजर आई। इस दौरान नदी की कभी न डूबने वाली चट्टाने भी पानी में पूरी तरह से डूबी दिखी और हर तरफ पानी ही पानी नजर आया।
इधर वैनगंगा नदी में भीमगढ़ डेम से ९० हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदी किनारे के इलाकों में तबाही का मंजर भी नजर आया। नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ के हालात निर्मित हुए। वहीं शहर मुख्यालय के समीपस्थ तीन से अधिक गांवों में करीब डेढ़ सौ से अधिक परिवार बेघर होने की जानकारी सामने आई। ग्राम पंचायत गोंगलई टापू में तब्दील दिखी। जिसका गायखुरी सहित अन्य गांवों से संपर्क टूट गया था। पटवारी प्रशिक्षण केन्द्र के आगे वहीं गायखुरी घाट के समीप नाले के उप से पानी जाने के कारण गर्रा-गोंगलई बायपास मार्ग भी दिनभर अवरुद्ध रहा। गायखुरी मुख्य मार्ग तक पानी आ गया था। इसी तरह समीपस्थ ग्राम छोटी कुम्हारी के बाद आगे का बालाघाट-नैनपुर मार्ग बाधित रहा। खैरी, छोटी कुम्हारी में करीब आधा सैकड़ा से अधिक घरों में पानी प्रवेश कर गया और गांव का कुछ हिस्सा खाली कराना पड़ा। इसी तरह ग्राम पंचायत भटेरा में सरपंच पति दिलीप बम्हुरे सहित अन्य सामाजिक संगठनों के सहयोग से पानी में डूबा जवाईटोला को खाली करवाकर करीब ४३ परिवार को रेस्क्यू कर पंचायत भवन, आंगनवाड़ी और स्कूलों में छोड़ा गया। सोमवार को दिनभर कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते नजर आए। जिन्होंने आवश्यक दिशा निर्देश देने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई और राहत कार्य किए जाने के निर्देश दिए।
यह मार्ग रहे अवरूद्ध
वैनगंगा नदी में जलस्तर बढऩे के साथ ही बालाघाट से नैनपुर राज्य मार्ग पर पडऩे वाले धापेवाड़ा के पास सोनबिहरी नाला, नेवरगांव और मोहगांव के बीच मसमेर नाला, गर्जनटोला के पास कोकर्डा नाला, छोटी कुम्हारी का नाला, गर्रा-गोंगलई बायपास, बालाघाट से लालबर्रा के बीच पडऩे वाले नाले, रजेगांव-किरनापुर के बीच का नाला आदि उफान पर रहे इस कारण ये मार्ग दिनभर अवरूद्ध रहे। हालाकि देर शाम को पानी कम होने पर आवागमन शुरू हो पाया। इनके अलावा जिले के अन्य तहसीलों में इसी तरह की स्थिति रही। जिले से बाहर निकलने अधिकांश मार्ग कुछ घंटों के लिए बाधित रहे।