बालाघाट/बिरसा. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा में महिला डॉक्टर नहीं होने से महिलाओं को उपचार के लिए भटकना पड़ता है। प्रसूता महिलाओं की समय पर जांच नहीं होने से
प्रसव के समय प्रसूताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। काफी समय से क्षेत्रवासियों द्वारा स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से महिला डॉक्टर की सप्ताह में दो दिन बैठे जाने की व्यवस्था करने की मांग की जा रही है। लेकिन इस ओर कोई
ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
गौरतलब हो कि मलाजखंड में सप्ताह के एक दिन बालाघाट की महिला डॉक्टर बैठ रही है। इसका खर्च ताम्र परियोजना द्वारा दिया जा रहा है। इसी तरह शासकीय खर्च पर बिरसा सीएचसी में सप्ताह में एक दिन महिला डॉक्टर बैठाया जाए।
ये है स्थिति बिरसा मुख्यालय में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व ६ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं २५० गांव व टोला और २३ वार्ड है। जहां की आबादी करीब एक लाख है। इसमें सीएचसी मे एक पुरूष डॉक्टर व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक पुरूष डॉक्टर पदस्थ है। पांच पीएचसी मे एक भी डॉक्टर नहीं है न महिला डॉक्टर है।
स्टॉप की कमीबिरसा क्षेत्र में ८ डॉक्टर व १ स्टॉप नर्स, २ लैब तकनीशियन, २ वार्ड ब्वॉय व सुपरवाइजर के रिक्त पद है। स्टॉप की कमी के चलते स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाता है। पदों की पूर्ति करने विभागीय अधिकारियों द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन इस पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सुविधा से वंचितडॉक्टरों की कमी के चलते शासन द्वारा स्वास्थ्य संबंधी चलाई जा रही योजनाओं का लाभ क्षेत्रीय मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र में महिला डॉक्टर नहीं होने से माह की ९ तारीख को गर्भवती महिलाओं की नि:शुल्क जांच भी नहीं हो रही है। मजबूरन महिला मरीजों को निजी अस्पताल में उपचार कराना पड़ रहा है।
इनका कहना है।नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का उपचार महिला डॉक्टर के अभाव नहीं हो रहा है। शीघ्र ही डॉक्टर पदस्थ किया जाए जिससे महिलाओं को लाभ मिल सकें।
मीना मर्सकोले, नपाध्यक्ष मोहगांव