scriptशराब दुकान हटाने की मांग पर अब भी अड़ीं महिलाएं | Women still insistent on demand to remove liquor shop | Patrika News

शराब दुकान हटाने की मांग पर अब भी अड़ीं महिलाएं

locationबालाघाटPublished: Mar 11, 2020 02:29:04 pm

Submitted by:

mantosh singh

महकेपार में स्थिति सामान्य : दुकान में घुसकर की थी तोड़-फोड़

शराब दुकान हटाने की मांग पर अब भी अड़ीं महिलाएं

शराब दुकान हटाने की मांग पर अब भी अड़ीं महिलाएं

तिरोड़ी/ तहसील के अंतर्गत आने वाले पठार ग्राम महकेपार में स्थिति अब सामान्य हो चुकी है। हालांकि गांव की महिलाएं अब भी गांव के बीचों-बीच संचालित होने वाली शासकीय देशी शराब दुकान को हटाने की जिद पर अड़ी हुईं हंै। महिलाएं अपनी मांग बुलंद कर रहीं हंै तथा रणनीति बना रहीं हैं।
दरअसल, एक दिन पूर्व गांव की महिलाओं ने शराब दुकान में घुसकर जमकर तोड़-फोड़ की थी। इसके बाद गांव में तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी। महकेपार पुलिस चौकी की पुलिस शराब दुकान के आगे तैनात थी, हालांकि दूसरे दिन सोमवार को स्थिति पूरी तरह से सामान्य दिखाई दी और दुकान का संचालन पूर्वानुसार हुआ, लेकिन गांव में महिलाएं दुकान हटाने को की मांग पर कायम नजर आईं।
महकेपार में आबादी के बीच करीब तीन दशक से देशी शराब दुकान स्थापित है। इसे हटाने के लिए गांव की महिलाएं काफी समय से प्रशासनिक अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहीं थीं। कुछ दिनों पूर्व महिलाओं ने जनसुनवाई में कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया था, जिसमें पूरजोर तरीके से अपनी समस्याएं बताते हुए महिलाओं ने शराब दुकान हटाने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से महिलाओं ने बगावत करते हुए शराब दुकान हटाने के लिए एक दिन पूर्व दुकान में जमकर उत्पात मचाया।
इसमें गांव की महिलाओं के अलावा कुछ नाबालिग बच्चे भी शामिल थे। कहा जा रहा है कि अगर प्रशासन समय रहते इन महिलाओं की मांग को ध्यान में रखते हुए शराब दुकान गांव से बाहर विस्थापित करने की कार्रवाई कर देता तो शायद महिलाओं को अपने हाथ में कानून नहीं लेना पड़ता।
इस बात से बिलकुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि गांव के भीतर शराब दुकान का संचालन होने से गांव का माहौल खराब हो रहा है और शाम ढलते ही महिलाओं को घर से निकलना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद प्रशासन इस शराब दुकान को हटाने में कोताही बरत रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों के अप्रत्यक्ष संरक्षण पर इस तरह गांवों के भीतर दुकानें संचालित होती है।
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