scriptWorkers raised bugle against exploitation in mines | माईंस में शोषण के खिलाफ मजदूरों ने फंूका बिगुल | Patrika News

माईंस में शोषण के खिलाफ मजदूरों ने फंूका बिगुल

locationबालाघाटPublished: Jun 03, 2023 08:29:02 pm

Submitted by:

mukesh yadav

शुरू की 7 दिवसीय काम बंद हड़ताल
कम वेतन देने एवं ठेकेदारी प्रथा का कर रहे विरोध

माईंस में शोषण के खिलाफ मजदूरों ने फंूका बिगुल
माईंस में शोषण के खिलाफ मजदूरों ने फंूका बिगुल
बालाघाट/वारासिवनी. एपी. त्रिवेदी सन्स रमरमा माइंस में शोषण के आरोप मजदूरों ने लगाए हैं। जिन्होंने यूनियन जिलाध्यक्ष एटी पदमनाभन एवं प्रमुख सचिव संतोष मंडलवार के नेतृत्व में माइंस के विरोध में बिगुल फूंकते हुए सात दिवसीय हड़ताल भी शुरू कर दी है। मजूदरों ने खनिज मजदूर एकता यूनियन के बेनर तले स्थायी कार्य स्थलों पर ठेकेदार के माध्यम से मजदूरों को लगाने पर रोक लगाने की मांग की है।
गौरतलब है कि अपनी इसी मांग को लेकर मजदूरों ने 21 मई को एक दिवसीय हड़ताल कर माइंस प्रबंधन को चेताया था। लेकिन माईंस प्रबंधन ने किसी प्रकार की कोई बातचीत करने या मामले में सुलह कराने का प्रयास नहीं किया। यूनियन एवं मजदूर आक्रोशित नजर आ रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि माईंस प्रबंधन अहंकार में डूबा हुआ है। वह यह सोच रहा है कि गरीब मजदूर कितने दिन हड़ताल करेंगे। आखिर थक हार कर मजदूरी में वापस आएंगे ही। यह सोच के चलते माईंस प्रबंधन मजदूरों के वेतन में कटौती एवं 12 - 12 घंटे कार्य करवा रहा है। हम इसका विरोध करते हैं।
बेदखल करने का हो रहा प्रयास-
मजदूरों ने बताया कि एपी. त्रिवेदी सन्स, रमरमा माईंस में नए ठेकेदार को लाकर उनके माध्यम से मशीनों का संचालन करने, डंपर एवं वाल्वों को चलवाने एवं पुराने मजदूरों, ड्राईवरों को उनके काम से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। माईंस में ठेकेदार के प्रवेश का निर्णय वापस लेने एवं सभी मजदूरों को संस्था की ओर से नियुक्त कर काम की देखरेख एवं वेतन का भुगतान माईंस प्रबंधन की ओर से किए जाने की मांग करते हैं।
नए ठेकेदार की हो गई भर्ती-
मजदूरों के ठेकेदारी प्रथा का विरोध के बावजूद माईंस प्रबंधन ने माईंस में एक और ठेकेदार को लाया है। इसके बाद मजदूर पूरी तरह बौखला गए हैं। मजदूरों ने बताया कि सभी कार्यस्थल स्थायी प्रकृति का है, इसलिए उपरोक्त कार्यस्थलों पर काम के लिए ठेकेदार एवं ठेकेदार के मजदूरों को लगाने का मतलब माईंस में काम कर रहे मजदूरों का शोषण को बढ़ावा देना है। माईंस प्रबंधन की इस कार्रवाई को सरासर अन्यायपूर्ण एवं अनुचित मानते है। उल्लेेखनीय है कि प्रबंधन पहले से ही एक ठेकेदार के माध्यम से माईंस में 60-70 मजदूरों से काम करा रहा है।
नहीं हंै मजदूरों का बीमा-
मजदूरों से चर्चा करने पर यह बात सामने आई कि माईंस में मजदूर जोखिम भरा कार्य करते हैं। अंडर ग्राउंड एवं ओपन कास्ट में कार्य कर रहे मजदूरों पर हमेशा चोटिल होने और जान जाने का खतरा बना रहता है, मजदूरों की माने तो उनका बीमा भी नहीं है।
योजना का नहीं मिल रहा लाभ-
मजदूरों ने बताया कि मप्र शासन की ओर से गरीब श्रमिकों के लिए श्रमिक कार्ड बनाया जाता है। हम दशकों से माईंस में मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन खदान संचालक हमें श्रमिक कार्ड नहीं दे रहा है। मजदूर शासन की इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। हमारी मांग है कि हम सभी स्थाई एवं अस्थाई महिला पुरूषों को श्रमिक कार्ड बनाया जाए।
वर्सन
मै 2010 से माईंस में कार्य कर रही हूूॅ। मै आज भी अस्थाई मजदूर हूॅ। मुझे 250 - 300 रुपए रोजी मिलती है, इतनी रोजी में इतनी महगांई में हमारा परिवार नहीं चल पाता है। हमारा न तो बीमा है और नहीं हमारा श्रमिक कार्ड बना है।
दुर्गाबाई इनवाते, श्रमिक-
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