scriptतीन घंटे तक नाले में तड़पता रहा गोवंश, बचाने नहीं पहुंचा कोई गोरक्षक, प्रशासन भी रहा दूर | any cow protector not came for Cow calf in ballia | Patrika News

तीन घंटे तक नाले में तड़पता रहा गोवंश, बचाने नहीं पहुंचा कोई गोरक्षक, प्रशासन भी रहा दूर

locationबलियाPublished: Sep 13, 2017 09:50:26 pm

यह घटना शहर के बीचो-बीच हुई पर किसी ने दिलेरी नहीं दिखाई

any cow protector not came

गोवंश को बचाने नहीं पहुंचा कोई गोरक्षक

बलिया. गाय के नाम की राजनीति करने वाले और गाय के रक्षा की दुहाई देने वालों का असली चेहरा उस समय सामने आया। जब शहर के बीचों बीच कुँवर सिंह चौराहे पर मौजूद नाले में एक गाय का बछड़ा गिर गया। आश्चर्य करने वाली बात ये कि तीन घंटे तक नाले में गिरा बछड़ा चिल्लाता रहा पर न तो कोई गोरक्षक इसे बचाने की जहमत उठाई न ही प्रशासन के लोग।
जी हां बीफ के नाम पर हो रहे टकराव में कईयों की जान चली गई। गोमांस, गोरक्षा और गोवंश की बात पर कितनी जगह मारपीट की घटनायें हुईं। पर इसकी हकीकत तब सामने आया जब बलिया जिले में गोवंश को बचाने तीन घंटे के बाद तक एक भी गोरक्षक नहीं पहुंचा। जब कि वहां से गुजरने वाले सैकड़ों लोग उस कराह को सुनते रहे।
महज सौ मीटर की दूरी पर थे कई कार्याल

यह घटना शहर के बीचो-बीच हुई। कुँवर सिंह चौराहे पर सड़क के बगल ही खुले नाले के पास से एक गोवंश जा रहा था। अचानक खुले नाले गहरे नाले में वह गिर गया। लोग देख रहे थे। वहां पर मौजूज कुछ छात्रों ने नगर पालिका के लोगों को इस बात की जानकारी भी दी। लेकिन किसी ने इस गोवंश को बचाने की कोशिश तक नहीं की। बतादें कि कुंवर सिंह चौराहा वह इलाका है जहां से भाजपा कार्यालय की दूरी महज सौ मीटर है। इतना ही नहीं इस जगह से विकासभवन. एसपी कार्यालय और डीएम कार्यालय की दूरी भी सिर्फ 100 मीटर के आस-पास ही है। पर कोई भी इस तड़पते गोवंश को बचाने की पहल नहीं की।
आखिरकार छात्रों ने दिखाई दिलेरी

नाले में गोवंश को तड़पता देख पहले तो कुछ छात्रों ने नगर पालिका के कार्यालय में सूचना दी। पर घंटों बीत जाने के बाद जब कोई भी कर्मचारी वहां नहीं आया तो इन छात्रों ने एकजुटता दिखाते हुआ नाले में उतर गये। काफी कठिनाई का सामना सकरते हुए इन्होने उसे बाहर निकाला तब जाकर उस गोवंश की जान बच सकी। पर बड़ा सवाल ये है कि गोरक्षा और गोवंश रक्षा के नाम पर राजनीति करने वाले ये रक्षक और भाजपा के लोगों को आखिर उस समय किया हो जाता है। जब मौके पर काम करने की बात आती है। फिलहाल जो भी हो लेकिन इस घटना ने एक बार फिर गाय और गोवंश की राजनीति करने वालें के चेहरे उजागहर कर दिये हैं कि इनकी कथनी और करनी में बड़ा अंतर है।
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