सोमवार को मामला कुछ इस तरह हुआ कि बाढ़ से जलमग्न हुए बलिया जेल के कैदियों को आजमगढ़ और अंबेडकर नगर की जेलों में शिफ्ट करना था। कैदियों को ले जाने के लिये बसों का इंतजाम करने के संबंध में जिला प्रशासन ने एआरएम को पत्र लिखा था। जिलाधिकारी की ओर से एआरएम बिन्दू प्रसाद पर बसें न उपलब्ध कराने का आरोप लगाया। उनका यह भी कहना था कि बात कैदियों को शिफ्ट करने की थी और समय पर रवानगी न होने से कानून व्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता था। दूसरी तरफ बिन्दू प्रसाद ने डीएम के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि 15 बसें मांगी गयी थीं, जिन्हें समय से भेजवा दिया गया था। डीएम ने एआरएम के खिलाफ परिवहन निगम के एमडी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि एआरएम ने सीयूजी नंबर पर कॉल तक नहीं उठाया। इसके बाद जिलाधिकारी उन्हें अपने वाहन से लेकर जेल परिसर आए।
उधर एआरएम बिन्दू प्रसाद ने अपने बयान में जिलाधिकारी पर आरोप लगाते हुए अभद्रता से आहत होकर परिवहन निगम के एमडी को इस्तीफा भेज दिया। इस्तीफे में उन्होंने आरोप लगाया है कि डीएम के पत्र के आधार पर 15 बसें जेल परिसर में पहुंचवा दी गयी थीं। वह खुद बसें वहां खड़ा कराकर वापस लौटे थे। आरोप लगाया कि दोपहर को जिलाधिकारी उनके कार्यालय आए, कॉलर पकड़कर घसीटते हुए ऑफिस से बाहर निकाला और अपनी गाड़ी में जिला जेल ले गए। उन्होंने जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया है।
उधर एआरएम बिन्दू प्रसाद का इस्तीफा मिलते ही परिवहन निगम के एमडी राजशेखर की ओर से प्रशासन से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गयी है। मीडिया की खबरों के मुताबिक मुख्यालय के निर्देश पर एआरएम आजमगढ़ पीके तिवारी और नोडल ऑफिसर अतुल त्रिपाठी बलिया पहुंच गए। उन लोगों ने रोडवेज कर्मचारियों के अलावा जिलाधिकारी के यहां भी गए। हालांकि दोनों अधिकारी मामले पर कुछ बोलने से बचते रहे और कहा कि पूरे मामले को एमडी स्वयं देख रहे हैं। अब देखना यह होगा कि दो अधिकारियों के बीच का यह विवाद क्या रूप लेता है।
By Amit Kumar