script1942 में आज के ही दिन यूपी का यह जिला हुआ था आजाद, अंग्रेजी हुकुमत ने टेके थे घुटने | Ballia Balidan Diwas celebration in Up | Patrika News

1942 में आज के ही दिन यूपी का यह जिला हुआ था आजाद, अंग्रेजी हुकुमत ने टेके थे घुटने

locationबलियाPublished: Aug 19, 2019 06:36:50 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

बलिदान दिवस पर क्रांतिकारियों को किया गया याद
विद्रोही तेवरों की वजह से बलिया को कहा जाता है बागी बलिया

Ballia Balidan Diwas

बलिया बलिदान दिवस

बलिया. 19 अगस्त बलिया के लिए गौरवशाली दिन है। 1942 में इसी दिन बागी बलिया के सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत देकर ब्रिटानी हुकुमत से लोहा लेते हुए जिला कारागार का दरवाजा खोल जेल मे बन्द अपने साथी क्रांतिकारियों को आजाद कराया था। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विद्रोही तेवरों की वजह से बलिया को बागी बलिया भी कहा जाता है ।
बलिदान दिवस के दिन खुला प्रतीकात्मक फाटक
बलिदान दिवस के नाम पर शासन की तरफ से स्थानीय छुट्टी भी निर्गत है, जिसमें सर्वदलीय पार्टी के नेता भी बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। सोमवार को बलिदान दिवस के दिन जिला जेल का प्रतीकात्मक फाटक खुला। सेनानी सहित जनप्रतिनिधि और अन्य लोग फाटक के अंदर गए और वही से जुलुस प्रारम्भ हो गया। सेनानी राजकुमार बाघ, कुंवर सिंह, चित्तू पाण्डेय, मंगल पाण्डेय और महात्मा गांधी सहित अन्य शहीदों के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। जुलुस जेल से प्रारम्भ होकर शहर भ्रमण करते बापू भवन पहुच कर जनसभा में परिवर्तित हो गया। सभा में सेनानियो के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
1942 में आजाद हो गया था बलिया
1942 के आंदोलन में बलिया के निवासियों ने स्थानीय अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंका था, बागी बलिया के सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत देकर ब्रिटानी हुकुमत से लोहा लेते हुए जिला कारागार का दरवाजा खोल जेल मे बन्द अपने साथी क्रांतिकारियों को आजाद कराया। चित्तु पांण्डेय को जिलाधिकारी की कुर्सी पर और राम दहिन ओझा को पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर बैठा दिया गया । चित्तू पांडेय के नेतृत्व में कुछ दिनों तक स्थानीय सरकार भी चली। लेकिन बाद में अंग्रेजों ने वापस अपनी सत्ता कायम कर ली। आज का दिन बलिदान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है ।
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