एक खत… जिसने छीन लिया 29 परिवारों के जीने का सहारा
बलियाPublished: Sep 18, 2016 11:21:00 am
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एएन-32 के लापता होने के 56 दिनों बाद इस बात की पुष्टि कर दी गई कि विमान में सवार सभी जवानों के मृत्यु हो गई।
29 soldier died
बलिया. एक खत जिसने एक परिवार को मातम की ओर धकेल दिया। अब तक वो परिवार इस उम्मीद में जी रहा था कि उनका बेटा जरूर वापस आएगा। लेकिन उनकी उम्मीदें उस समय चकनाचूर हो गई, जब उनके घर एक खत आया जिसमें लिखा था कि लापता विमान एएन-32 में सवार सभी जवानों की मृत्यु हो गई है। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के बैरिया थाने का रहने वाला सेना का जवान 22 जुलाई को चेन्नई से पोर्टब्लेयर के लिए रवाना हुए उन 29 जवानों में शामिल था, जो एएन-32 विमान में सवार थे। लेकिन 56 दिनों के बीत जाने के बाद भी उस विमान की कोई खोज खबर नहीं है। लेकिन उसके परिवार यह मानने को तैयार नहीं है कि उनका लाल अब नहीं रहा, उन्हें इंतजार है कि एक दिन उनका बेटा जरूर आएगा।
जवान के मां की बूढ़ी आंखों को आज भी इंतज़ार है अपने बेटे का, जो 22 जुलाई को चेन्नई से पोर्टब्लेयर के लिए एएन-32 से रवाना तो हुआ था पर आज तक लौटकर नहीं आया। बलिया जनपद के दोकटी थाना क्षेत्र के टोला सेवक राय के रणजीत सिंह का बेटा भूपेंद्र सिंह जो भारतीय नौ सेना में कार्यरत थे, इस हादसे के बाद से ही लापता है। हालांकि परिवार वाले कहते है कि अखबार से पता चला है सेना ने सभी लापता लोगों को मृत मान लिया है पर ऐसी कोई सरकारी चिट्ठी उन्हें नहीं मिली है।
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लापता नौसेनिक भूपेंद्र की मां पूरे यकीन के साथ कहती है कि उनका बेटा एक दिन ज़रूर आयेगा। दरअसल, भूपेंद्र 2010 में नौसेना से पीटी ऑफिसर के पद से रिटायर हो गए थे। लेकिन 2015 में आयुध भण्डार के क्वालिटी इंस्पेक्टर के पद पर विशाखापत्तनम में पुनः नियुक्त किया गया था। हादसे के दिन भूपेंद्र ने अपनी पत्नी को बताया की वो एएन-32 से पोर्टब्लेयर जा रहे हैं। लेकिन उनके प्लेन के लापता होने की खबर घर वालों को मिलते ही घर में मातम छा गया ।
आखिर कहां गया एएन-32 विमान आखिरकार कहां है एएन-32 विमान में सवार 29 ज़िन्दगियां। ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जबाब सेना और सरकार ही नहीं लापता नौसैनिक भूपेंद्र के गांव वालों सहित पूरा देश जानना चाहता है। एएन-32 के लापता होने के रहस्य को सुलझाने में नाकाम रही सेना और सरकार चाहे मान ले कि उसमें सवार सभी लोग मर चुके हैं, लेकिन लापता जवानों के परिजन ये मानने को तैयार नहीं। उन्हें यकीन है कि एक दिन उनका बेटा लौटकर जरूर आयेगा।