बलिया के रामपुर सरकारी प्राथमिक विद्यालय में दलित बच्चों से कुछ बच्चों के अलग बैठकर भोजन करने की तस्वीरें और वीडियो सामने आयी थी। इसे बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी संज्ञान में लेकर इस पर बयान दिया था। इसके बाद बसपा के चीफ जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. मदन राम नेतओं के साथ रामपुर के प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। वहां मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी ने नेताओं को मामले में राजनीति न करने को कहा।
इसके बाद जिलाधिकारी भवानी सिंह ने दलित नेताओं के महंगी गाड़ियों, महंगी घड़ियों और जूतों पर टिप्पणी कर दी। इसको लेकर बसपा नेता डॉ. मदन राम ने मीडिया में आकर विरोध भी जताया था। उस समय तो डीएम साहब सुर्खियों में छा गए, लेकिन बाद में यह मामला तूल पकड़ने लगा। इसके बाद डीएम साहब लोगों के निशाने पर आ गए। उनके खिलाफ #ShoesForTheDM ट्रेंड करने लगा और देश-विदेश से लोग डीएम साहब को इसी हैशटैग से डीएम साहब के नाम जूते और महंगी घड़ियों की तस्वीरें भेजने लग। डीएम साहब ट्वीटर, फेसबुक और यहां तक कि इंस्टाग्राम पर भी लोगों का निशाना कने।
दर असल जब दलित नेता वहां पहुंचे तो वहीं डीएम भी पहुंच गए। जब नेताओं ने दलित छात्रों के साथ भेदभाव की उनसे शिकायत की तो उन्होंने उन नेताओं को राजनीति न करने की नसीहत की। उन्होंने यहां तक कहा कि आप जैसे नेता 25 लाख की गाड़ी, 20 हजार की घड़ी और 10 हजार के जूते पहनकर राजनीति न करें। जोनल कोआर्डिनेटर ने इसका विरोध किया था। यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया, इसक बाद दलितों ने डीएम के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया और उनका विरोध करते हुए काई नए जूते तो कोई नई घड़ियों की फोटो पोस्ट कर रहा है। दावा यह भी किया जा रहा है कि कुछ लोग जूते खरीदकर डीएम साहब को कुरियर भी कर रहे हैं, लेकिन इस दावे को सच साबित करने का कोई सबूत हमें नहीं मिला।
By Amit Kumar