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बलिया में घाघरा और गंगा ने मचायी तबाही, सैकड़ों गांव जलमग्न, बांधों के टूटने से खेती डूबी, किसान परेशान

locationबलियाPublished: Jul 23, 2020 03:17:13 pm

बलिया में बारिश के कारण गंगा और घाघरा नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पानी का बहाव तेज होने के कारण तटवर्ती इलाकों में कटान तेजी से हो रहा है।

बलिया में घाघरा और गंगा ने मचायी तबाही, सैकड़ों गांव जलमग्न, बांधों के टूटने से खेती डूबी, किसान परेशान

बलिया में घाघरा और गंगा ने मचायी तबाही, सैकड़ों गांव जलमग्न, बांधों के टूटने से खेती डूबी, किसान परेशान

पत्रिका लाइव रिपोर्ट


बलिया. बलिया में बारिश के कारण गंगा और घाघरा नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पानी का बहाव तेज होने के कारण तटवर्ती इलाकों में कटान तेजी से हो रहा है। इससे सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन पानी में समा गयी है। बलिया के दक्षिणी छोर पर गंगा का बहाव है, तो उत्तरी छोर पर घाघरा नदी बहती है। बारिश के कारण दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। घाघरा नदी का जलस्तर बढऩे के कारण कटान लगातार जारी है। घागरा के किनारे बसे दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। तटवर्ती इलाके में बसे लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं। धान की सैकड़ों एकड़ खेती जलमग्न हो गई है। बांसडीह तहसील क्षेत्र के रिगवन, नौका, ककरघट्टा, सुल्तानपुरा, गोड़वली, खादीपुर, पर्वतपुर, सारंगपुर, कोलकला जैसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
किसानों को तीन तरफ से मार

बलिया में गंगा, घाघरा और टोंस नदियां अलग-अलग दिशा में बहती हैं। गंगा और घाघरा बैरिया विधानसभा क्षेत्र से होते हुए शहर के पूर्वी छोर पर मिल जाती हैं और बिहार जाती हैं। जिले में 8-8 बांध गंगा और घाघरा नदी पर हैं, जबकि टोंस नदी पर तीन बांध बने हैं। बाढ़ खंड विभाग के अधिशासी अभियंता के अनुसार जिले में अभी ककरघट्टा गांव के पास डाउन स्ट्रीम में कटान हो रहा था, जहां कटान रोधी कार्य कराया गया है। घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के बिंदु को पार कर चुका है। बांसडीह इलाके के दर्जनों गांव में कटानरोधी कार्य हुए, लेकिन वह मानक के अनुरूप नहीं हुए। नौका गांव के ग्रामीण जितेंद्र साहनी ने बताया कि अधिकारी गांव में आए और काम भी शुरू कराया, लेकिन सभी स्थानों पर एक समान काम नहीं हुआ। बालू और ईंट की भरी हुई बोरियां कटान रोकने में प्रयोग की गईं, लेकिन वह भी पानी में बह गईं। इससे सैकड़ों बीघे खेती बाढ़ के कारण जलमग्न हो गई है। साल 2019 में गंगा नदी का जलस्तर इतना ज्यादा बढ़ गया था कि दुबे छपरा रिंग बांध टूट गया था। तब 200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। इस साल भी गंगा उफान पर है। उत्तरी छोर पर घाघरा नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है।
किसान को अब भी उम्मीद

घाघरा नदी के तटवर्ती गांव के किसानों कि काफी जमीन बाढ़ में कट कर बह गई है। इसके बाद भी शेष बची जमीन पर किसान धान की रोपाई करने में जुटे हैं। किसानों का कहना है कि बची खेती पर धान की रोपाई नहीं करेंगे, तो जीवन यापन कैसे होगा। पूर्वांचल और आसपास के जिले में अमूमन जुलाई के अंत और अगस्त में बारिश होती है, लेकिन इस साल जून के मध्य में ही मानसून आने से गंगा और घाघरा का जलस्तर लगातार बढ़ता गया। सरयू के जलस्तर में वृद्धि दो महीना पहले ही हो गई।
क्या कहते हैं जिम्मेदार

उप जिलाधिकारी दुष्यंत कुमार ने बताया कि कटानरोधी कार्य कराया जा चुका है। फिर भी कहीं कटान होता है, तो उसे रोकने के लिए बाढ़ विभाग को निर्देशित किया गया है। बाढ़ खंड विभाग के अधिशासी अभियंता संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि बलिया में घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। ककरघट्टा गांव के पास कटान का चिन्हांकन किया गया था, जहां पर बाढ़ बचाव कार्य पूरा कर लिया गया है।
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