दरअसल, जिले के भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा की पुष्टि होने के बाद लोगों का रुझान बोतलबंद पेयजल की ओर बढ़ गया। जनपद में पानी का व्यवसाय शुरु हो गया, लिहाजा शहर के साथ ही गांव-गांव में आरओ प्लांट की स्थापना हो गयी। बोतल में पानी भरकर बेचने के बाद संचालकों ने पेयजल को पाउच में भरकर सप्लाई शुरू कर दी। खाद्य विभाग के अफसरों का कहना है कि पानी पैक करने के लिये रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जबकि दर्जनों की संख्या में आरओ प्लांट संचालक बगैर पंजीकरण ही पैकिंग कर रहे थे।
अधिकारियों का कहना है कि सहरसपाली से 600 पाउच तथा अमृतपाली से 70 बोरा में लगभग सात हजार पाउच बरामद किया। वहीं मां गंगे आरओ प्लांट पानी के मालिक का कहना है कि वह कई बार विभाग से लाइसेंस लेने गया पर विभाग लाइसेंस ही नहीं देता। प्लांट के मालिक अशोक का दावा है कि बलिया शहर में 200 और पूरे जनपद में 1000 वॉटर प्यूरीफायर प्लांट है जो अवैध तरीके से पानी का कारोबार कर रहे हैं।
कागजातों के अभाव में टीम ने पानी के पाउच को जब्त करने के साथ ही नमूना लेकर जांच के लिये भेजा। टीम में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी आरपी सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिनेश राय, विपिन गिरी, नरेन्द्र कुमार आदि शामिल है।
कागजातों के अभाव में टीम ने पानी के पाउच को जब्त करने के साथ ही नमूना लेकर जांच के लिये भेजा। टीम में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी आरपी सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिनेश राय, विपिन गिरी, नरेन्द्र कुमार आदि शामिल है।
BY- Amit Kumar