बतादें कि देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले बलिया के युवा नेताओं की सालों से मांग थी कि उनके जिले में सबसे ऊंचा तिरंगा लहराना चाहिए। इसके लिए बलिया रेलवे स्टेशन का चय़न भी किया गया। लेकिन किसी कारण से ये मांग पूरी नहीं हो पा रही थी। आखिरकार शनिवार को स्थानीय सांसद बिरेन्द्र सिंह मस्त सांसद राज्यसभा नीरज शेखर, डीआरएम रेलवे बोर्ड व अन्य विधायकगण की उपस्तिथि में रेलवे स्टेशन पर तिरंगे का लोगों ने सलाम किया।
सबसे पहले आजाद होने का गौरव बलिया को आजादी के दीवाने चित्तू पांडेय, मंगल पांडेय जगन्नाथ सिंह परमात्मानंद सिंह समेत ये अनेक नाम हैं जिनके आजादी की लड़ाई के किस्से आज भी भारत की फिजाओं में गूंजते हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान चित्तू पांडेय गिरफ्तार कर लिए गये थे। इससे बलिया की जनता क्षुब्ध थी। बलिया जिले के हर प्रमुख स्थान पर प्रदर्शन व हड़तालें शुरू हो गईं। तार काटने, रेल लाइन उखाड़ने, पुल तोड़ने, सड़क काटने, थानों और सरकारी दफ्तरों पर हमला करके उन पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के काम में जनता जुट गई थी। 19 अगस्त 1942 को जेल का फाटक खोला गया और स्वतंत्रता आंदोलन के दीवाने आजाद हुए। इसी के साथ जिले ने न सिर्फ बागी बलिया का तमगा हासिल किया बल्कि देश में सबसे पहले आजाद होने का गौरव भी हासिल कर लिया।