रोजाना नाव पर भेड़-बकरियों की तरह नाविक यात्रियों बैठा कर शिवरामपुर घाट से बयासीघाट तक ले जाते-आते हैं। इसमें यात्री लगभग घंटों का सफर तय करते हैं और इनकी सुरक्षा भी राम भरोसे रहती है। लोग तडके सुबह रोजमर्रा की तरह अपने घर से निकलते हैं लेकिन सांय घर तक आ न जाये, तब तक परिवार के लोगो की जान अटकी रहती है।
बता दें कि बलिया के शिवपुर दियर गांव गंगा नदी के उस पार बसा हुआ है जहां लोग अपनी जरुरतों का सामान लेने के लिये नाव का सहारा लेना पड़ता हैं। यात्रियों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। लेकिन यात्रा करना मजबूरी हो जाती है। जिला प्रशासन की तरफ से इन नाविकों को अभी तक किसी प्रकार का सुरक्षा या लाईसेंस तक नहीं मिला है, जिससे यात्रियों को कोई सुरक्षा मिल सके। नाविक अपना और यात्रियों का जान जोखिम में डालकर बयासी घाट से लेकर शिवपुर घाट तक ले जाने का काम करते हैं।
यह भी पढ़ें- बलिया के चर्चित रागिनी हत्याकांड में आया नया मोड इस बाबत जहां यात्री ने अपनी मजबूरी बताई तो वहीं नाविक का कहना है कि लोग अपनी मर्जी से बैठते हैं। वहीं, जिलाधिकारी सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि जिले में अभी तक नाव ओवर लोडिंग या किसी प्रकार की कोई दुर्घटना की सूचना नहीं आयी है। साथ ही उन्होंने बताया कि जिले के सभी छोटी, मझली व बड़ी नावों का सर्वे कराया गया है। इसके अतिरिक्त अगर कहीं अवैध रूप नावों का संचालन हो रहा है तो उससे हादसा हो रहा है तो प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
by Amit Kumar