मायावती ने कहा कि चुनाव के दौरान इन लोगों ने गठबंधन को कमजोर करने और तोड़ने व भ्रम पैदा करने की कोशिश की है, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। इससे ये काफी दुखी हैं। ये गठबंधन के बारे में अनाप-शनाप बातें कह रहे हैं क्योंकि ये खुद फेल हो चुके हैं। उन्होंने बीजेपी केा आगाह करते हुए कहा कि बीजेपी एण्ड कंपनी कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन गठबंधन कमजोर पड़ने वाला नहीं। ये लम्बा चलेगा, क्योंकि ये महामिलावटी नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का महागठबंधन है। गठबंधन पहले भाजपा को केन्द्र और फिर यूपी की सत्ता से बाहर करेगा।
सलेमपुर के प्रत्याशी आरएस कुशवाहा की तारीफ करते हुए कहा कि ये अतिपिछड़े वर्ग से आते हैं और बसपा के सच्चे सिपाही हैं। इन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहा गया तो झट से तैयार हो गए। इन्होंने कभी खुद अपनी इच्छा नहीं जाहिर की, बल्कि पार्टी के आदेश का पालन करते रहे। ये बसपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और इन्हें इस बार हम लोकसभा भेज रहे हैं। कहा कि पूर्वांचल और खासतौर से सलेमपुर में कुशवाहा वोट बहुत है। यहां से जो भी चुनकर गए उन्होंने क्षेत्र का ध्यान नहीं रखा।
उनके बाद अखिलेश यादव ने भी अपने संबोधन में भाजपा को ही निशाने पर रखा। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने छल करके सरकार बनाई और पांच साल तक धोखा दिया। अब 23 को परिणाम आने के बाद देश की राजनीति में बदलाव आएगा। महागठबंधन की आंधी में इनकी नींव तक का पता नहीं चलेगा।
कहा कि सरकार बन जाने पर किसानों को लागत का डेढ़गुना मुनाफा देने और उनकी आय दोगुनी करे का झूठा वादा किया गया था। जो चाय के बहाने सत्ता में पहुंचे वो अब चौकीदार बनकर आ रहे हैं। उनकी चाय खराब निकली, क्योंकि बिना अच्छे दूध के अच्छी चाय नहीं बन सकती। नरेन्द्र मोदी के साथ ही वह योगी आदित्यनाथ को भी निशाने पर लेते रहे। कहा कि चौकीदार के साथ-साथ यूपी में ठोकीदार केा भी हटाना है।
अखिलेश यादव ने कहा कि अब बीजेपी की सभाओं में अब न भीड़ है न जोश। न ही नारा लगाने वाले हैं। कहा कि नरेन्द्र मोदी गरीब और किसान के नहीं बल्कि एक प्रतिशत अमीरों के प्रधानमंत्री हैं। आदर्श गांव के नाम पर जो धोखा दिया उसके चलते अब बीजेपी के लोग गांव में नहीं घुस पा रहे हैं। जो सिलिंडर दिया वह भी कोई दोबारा नहीं भरवा पाया।