कहा जा रहा है कि इसके साथ ही भाजपा गठबंधन के एक ताकतवर साथी का रास्ता अब सरकार से भी अलग हो गया। यूपी में 39 सीटों पर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने के फैसले के बाद से ही ओम प्रकाश ने योगी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। जो सोमवार को मंजूर कर लिया गया।
बतादें कि ओमप्रकाश राजभर अति पिछड़े समाज से आते हैं उनकी पार्टी पूर्वांचल में अपना दखल रखती है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिसके एवज में ओमप्रकाश राजभर को योगी कैबिनेट में मंत्री बनने का अवसर दिया गया। राजभर की पार्टी का जनाधार पूर्वांचल के बलिया, गाजीपुर, मऊ और वाराणसी क्षेत्र में है। आरक्षण समेत कई मुद्दों को लेकर ओम प्रकाश राजभर सरकार की नीतियों पर लगा हमला करते रहते थे। लेकिन कहा जाता है कि सरकार ने इनकी बातों को कभी तवज्जो नहीं दिया।
तकरीबन 20 दिन पहले ओम प्रकाश ने सरकार को इस्तीफा भेजकर लोकसभा की 39 सीटों पर भाजपा से अलग होकर सुभासपा प्रत्याशियों को उतारने का एलान कर दिया। इसका कारण ये भी बताया जा रहा है कि विधानसभा में गठबंधन होने के बाद भी लोकसभा चुनाव में राजभर की पार्टी सुभासपा को भाजपा ने एक भी सीट नहीं दिया जिसके बाद से ही वो नाराज चल रहे थे। अब राजभर लगातार क्षेत्र में जाकर जनता से भाजपा को हराने की अपील कर रहे हैं। इस बीच अगर उनका इस्तीफा भी स्वीकार किया गया है जिसकी चर्चा तेजी से हो रही है तो दोनों के बीच ये वाकया एक बार फिर तकरार बढ़ायेगा।