बतादें कि सोनबरसा-दलनछपरा मार्ग के किनारे सोनबरसा प्राथमिक विद्यालय नंबर एक व गांव में जाने वाले मार्ग के गेट पर एक बैनर लगा है कि यह गांव सवर्णों का है. हम एससी-एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध करते हैं, कृपया राजनीतिक पार्टियां वोट मांग कर हमें शर्मिंदा न करें। गांव के युवाओं का कहना था कि सत्ता में पहुंचते ही जनप्रतिनिधियों के विचार बदल जा रहे हैं। वह जनता के लिए कुछ भी नहीं करते, सिर्फ शासन सत्ता में बने रहने के लिए जुगत लगाते हैं। युवाओं ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट के निर्णय का इंतजार और एससी-एसटी एक्ट संशोधन के लिए अपने मन का विचार, यह कहां तक तर्क संगत है।
आजादी हासिल किए लंबा अरसा बीत गया, उचित तो यह होता कि अब आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाता, लेकिन इस पर विचार तक नहीं किया जा रहा है और एक्ट में संशोधन कर के ब्लैकमेल करने का औजार उपलब्ध कराया गया है। युवाओं ने कहा कि हम इस एक्ट का विरोध करते हैं और संवैधानिक व्यवस्था के तहत जनप्रतिनिधियों के तिरस्कार के लिए नोटा के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। इससे पहले देवरिया जिले के सोनाड़ी गांव में भी ऐसा ही पोस्टर लगाया गया था। गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण संगठनों ने 6 सितम्बर को भारत बंद बुलाकर कड़ा विरोध दर्ज करवाया था।