बार-बार जाल में फंसती रही मूर्ति
मंदिर के व्यवस्थापक सोहनलाल टावरी ने बताया कि एक दिन ग्राम सिवनी का एक केंवट मछली पकडऩे तालाब में गया। जाल में मछली की जगह पत्थर की प्रतिमा फंस गई। केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ कर फिर से तालाब में डाल दिया। इस प्रक्रिया के कई बार पुनरावृत्ति से परेशान होकर केंवट जाल लेकर अपने घर चला गया।
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स्वप्न के बाद प्रतिमा को निकाला बाहर
देवी ने गांव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं। मुझे जल से निकालकर प्राण-प्रतिष्ठा करवाओ। स्वप्न की सत्यता को जानने तत्कालीन मालगुजार छवि प्रसाद तिवारी, केंवट और गांव के अन्य प्रमुखों को साथ लेकर बैगा तालाब पहुंचे। केंवट के जाल फेंकने पर प्रतिमा फिर जाल में फंस गई। प्रतिमा को बाहर निकाला गया, उसके बाद देवी के आदेशानुसार छवि प्रसाद ने अपने संरक्षण में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई। जल से प्रतिमा निकली होने के
कारण गंगा मैया के नाम से विख्यात हुई।
अंग्रेजों ने प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया
बताया जाता है कि तांदुला नहर निर्माण के दौरान गंगा मैया की प्रतिमा को वहां से हटाने प्रयास किया। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद अंग्रेज एडम स्मिथ सहित और अन्य अंग्रेज साथियों की मौत हो गई थी।
विदेशों में भी देवी के भक्त
ग्रामीण पालक ठाकुर ने बताया कि गंगा मैया के भक्त ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी है। राज्य एवं देश के लोग जो विदेशों में जा बसे हैं, वे भी मंदिर में नवरात्रि पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं। उनकी मान्यता है सच्चे मन और श्रद्धा रखने वाले भक्तों की मनोकामनाएं देवी गंगा मैया पूरी करती हैं। हर साल चैत्र व क्वांर नवरात्रि में नौ दिनों तक विविध धार्मिक आयोजन होते हैं।