विभाग का दावा है कि जिले में तेजी से कुपोषण दर कम हो रही है। जल्द ही जिले को शून्य फीसदी कुपोषण दर पर लाने लड़ाई लड़ी जाएगी। महिला बाल विकास विभाग सहित जिला प्रशासन भी जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में लगाए गए मुनगा के पेड़ व पोषण वाटिका की तारीफ भी की। अब जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका के साथ मुनगा के पौधे लगाने की योजना तैयार की जा रही है।
महिला बाल विकास विभाग के मुताबिक जिले में कुल 1537 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें कुल 58,078 बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें से 9,337 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिसमे से 1208 बच्चे गम्भीर कुपोषित हैं। इनका कुपोषण दूर करने शासन प्रशासन व विभाग लाखों खर्च कर रहा है।
कुपोषण को दूर करने में सहायक है। तीन साल पहले जिले की 944 आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी इस पौधे का रोपण किया गया था, जो अब फल देने लगे हैं। इस पेड़ के पत्तियों व फलों की सब्जी बनाकर समय -समय पर आंगनबाड़ी के बच्चों को खिलाया भी जा रहा है। ताकि कुपोषण से बच्चेबच सके।
महिला बाल विकास विभाग के मुताबिक जिले के डौंडी और डौंडीलोहारा विकासखंडों में सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। पूरे जिले के 9,337 कुपोषित बच्चों में से 4 हजार 539 बच्चे तो इन दोनों विकासखंडों से हैं। अब विभाग इन विकासखंडों पर ज्यादा फोकस कर रहा है। बचे हुए बच्चों को भी कुपोषण से मुक्त कर स्वस्थ बनाने महिला बाल विकास व मितानिनों की टीम गर्भवती महिलाओं एवं शिशुवती माताओं के घर जाकर गृह भेंट मुलाकात अभियान चलाकर बच्चे व महिलाओं की जानकारी ले रही है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को खून की कमी एवं गर्भ में पल रहे बच्चों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। यहां समय-समय पर स्वास्थ्य जांच आयरन, केल्शियम टेबलेट का वितरण सहित महिलाओं को गरम भोजन भी दिया जा रहा है। डौंडी विकासखंड में 15 से 49 वर्ष की महिलाओं को कमजोरी व खून की कमी से बचाने गर्म भोजन दिया जा रहा है। विभाग का कहना है कि डौंडी विकासखंड के बाद अब जिले के सभी विकासखंडों में भी यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
जिला महिला बाल विकास विभाग के मुताबिक एक साल पहले जिले में कुपोषण की दर 20.32 फीसदी थी, जो शासन की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद अब जिले में इसका असर दिखने लगा है। विभाग की टीम जिले के सभी गांव शहरों में कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़ कर जिले को कुपोषण मुक्त बनाने का काम कर रही है। जिसके तहत एक साल में कुपोषण की दर 4.25 फीसदी घटकर 16.7 फीसदी पर आ गई है।
जानकारों के अनुसार मुनगा को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाता है। सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। कई तरह के मल्टी विटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।
जिला महिला बाल विकास अधिकारी एचआर राणा ने बताया कि जिले में कुपोषण दूर करने जिला प्रशासन के निर्देश पर विभाग काम कर रही है। कुपोषण दूर करने शासन की विभिन्न योजनाओं का सही समय में उपयोग करने व कुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के कारण ही सालभर में कुपोषण की दर 4.25 फीसदी घटकर 16.7 फीसदी पर आ गया है। प्रयास है जल्द ही जिले को कुपोषण मुक्त जिला बनाया जाए।