बालोदPublished: Nov 08, 2022 09:15:07 pm
Chandra Kishor Deshmukh
राज्य सरकार गौवंश के संरक्षण को लेकर नीतियां बना रही है। गौशालाएं खोली जा रही हैं। गांव-गांव में गौठान निर्माण कर गोबर व पैरा खरीदा जा रहा है। गौपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। शासन की इस योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन जिले में पशुपालक गौवंश एवं पशुपालन से मुंह मोड़ रहे हैं। इस कारण लगातार गौवंश घट रहा है। इसकी पुष्टि पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़े कर रहे हैं।
सतीश रजक/बालोद. राज्य सरकार गौवंश के संरक्षण को लेकर नीतियां बना रही है। गौशालाएं खोली जा रही हैं। गांव-गांव में गौठान निर्माण कर गोबर व पैरा खरीदा जा रहा है। गौपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। शासन की इस योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन जिले में पशुपालक गौवंश एवं पशुपालन से मुंह मोड़ रहे हैं। इस कारण लगातार गौवंश घट रहा है। इसकी पुष्टि पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़े कर रहे हैं। 2012 में 18वीं पशु समगणना पशुपालन विभाग ने कराई। आंकड़ों को देखेंगे तो पता चलता है कि 4 लाख 10 हजार 997 गौवंश बालोद जिले में था। 2019 की पशु गणना में गौवंश घटकर 3 लाख 36 हजार 477 रह गए हैं। लगभग 74 हजार 520 गौवंश कम हो गए। अब अगली पशु गणना 2024 में होगी। जिस गौवंश को हम गौ माता का दर्जा देते हैं, उसकी तस्करी हो रही है।