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9वीं के छात्र नेमचंद ने बनाया फसल काटने वाली मशीन का मॉडल, मिला पहला स्थान

locationबालोदPublished: Aug 27, 2019 12:50:17 am

जिला स्तरीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी और पश्चिम भारत विज्ञान मेला में संयुक्त फसल काटने वाली मशीन के मॉडल का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालोद मेेंं हुई। मॉडल विकासखंड डौंडी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खलारी ने पेश किया, जिसे प्रथम स्थान मिला।

9वीं के छात्र नेमचंद ने बनाया फसल काटने वाली मशीन का मॉडल, मिला पहला स्थान

9वीं के छात्र नेमचंद ने बनाया फसल काटने वाली मशीन का मॉडल, मिला पहला स्थान

बालोद/दल्लीराजहरा @ patrika. जिला स्तरीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी और पश्चिम भारत विज्ञान मेला में संयुक्त फसल काटने वाली मशीन के मॉडल का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालोद मेेंं हुई। मॉडल विकासखंड डौंडी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खलारी ने पेश किया, जिसे प्रथम स्थान मिला। यह मॉडल जोन स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया है। 27 अगस्त को जेआरडी मल्टीपरपस शाला दुर्ग मेंं प्रदर्शित किया जाएगा।
मशीन से अलग होता है अनाज व पैरा
यह मॉडल मार्गदर्शक शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार श्रवण के मार्गदर्शन में तैयार किया था। केवल हार्वेस्टर मशीन धान या गेहूं की फसल काटने के बाद मिंजाई की प्रक्रिया होती है, जिसमें अनाज व पुआल या पैरा अलग-अलग होता है। हार्वेस्टर मशीन मेंं यह देखा जाता है कि पैरा को अलग कर खेत मेें गिरा दिया जाता है, उस पैरा को किसान या तो पशुधन को खिलाने अपने घर ले आते हैं या खेत पर ही जला देते हैं। खेत मेंं पैरा जलाने पर निकलने वाला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित करता है। सूखा पैरा को खिलाने से पशुधन को नुकसान भी पहुंचता है क्योंकि सूखे पैरा मेंं पौष्टिकता खत्म हो जाती है।
यूरिया उपचारित पैरा से होने वाले लाभ बताए
कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से पैरा को और भी छोटे-छोटे टुकड़ों मेेंं काटा जाता है, जिसे आम भाषा में पैरा कुट्टी कहा जाता है। मॉडल के माध्यम से बताया गया कि यदि 50 लीटर पानी, 100 किलोग्राम पैरा कुट्टी एवं 4 किलोग्राम यूरिया को अच्छी तरह से मिलाकर परत दर परत बिछाकर एक माह तक ढंक दिया जाता है तो उसका रंग सुनहरा हो जाता है फिर पशुधन को थोड़ा-थोड़ा अन्य पशु आहार के साथ खिलाने से पौष्टिकता का गुण और बढ़ जाता है, जिसे पशुधन स्वाद के साथ खाते हैं। इससे दुधारू पशु के दूध मेें वृद्धि होती है। खेती कार्य मेंं काम आने वाले बैल व भैंसे भी हष्ट-पुष्ट हो जाते हैं। इस तरह तैयार किया गया आहार पशुधनों के लिए निरोग व ताकतवर होता है। इन सबसे किसान की आमदनी बढ़ती है। पैसे की बचत होती है।
छात्र नेमचंद ने दी मॉडल की बेहतर ढंग से जानकारी
प्रतिभागी 9वीं में अध्ययनरत छात्र नेमचंद है, जो बेहतर ढंग से मॉडल के बारे में जानकारी देने में सफल रहा। प्राचार्य एस जॉनसन सहित शिक्षकों व कर्मचारियोंं ने 27 अगस्त को बेहतर प्रदर्शन की कामना की है।
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