अब सवाल यह है कि उस गरीब वृद्ध महिला के मकान को जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक नजरअंदाज कर रहे थे। या फिर नगर पंचायत के अधिकारी एवं कर्मचारियों की लापरवाही के कारण राशि नहीं मिल रही थी। खबर प्रकाशित होते ही 3 दिन के अंदर हितग्राही को राशि मिल गई।
धन्य हो बेटा जो हम गरीब मन के मकान ला बनाए में न्याय दिलवाए हो। वहीं वार्ड पार्षद सलीम खान ने कहा कि मीडिया की ताकत बहुत बड़ी है। कई बार हितग्राही नगर पंचायत के चक्कर काट चुके थे। अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे। खबर छपने के बाद राशि हितग्राही के खाते में डाली गई। इसके लिए आभार। पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष केके राजू चंद्राकर ने भी इस पहल के लिए पत्रिका का आभार जताया।