ओपन स्कूल से पढ़ रहीं 110 छात्राएं अब आसपास के गांवों में शिक्षा का स्तर सुधारने पहली से पांचवीं तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षण दें रहीं है।
बालोद.प्राथमिक शिक्षा में एकरूपता की अनिवार्यता अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है जो प्राय: चर्चा में नहीं आता। एकरूपता नहीं होने से सस्ती एवं महंगी ग्रामीण एवं शहरी या निजी एवं सरकारी में शिक्षा के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। इसी सार्वजनिक समस्या को ध्यान में रखकर प्रथम ओपन स्कूल बालोद की छात्राओं ने ग्रामीण शिक्षा के स्तर की हालत में सुधार का निर्णय लिया। क्लस्टर सांकरा, बरही, तरौद, बोरी, दरबारी नवागांव के 110 छात्राएं अपने-अपने गांव में घर पर प्रतिदिन 1 घंटा आस-पास के कक्षा 1 से 5 तक के छात्राओं को पढ़ा रही हैं।
ओपन स्कूल में पढ़ रही हैं छात्राएं
यह कक्षा संध्याकालीन समय में करीब 48 गांवों में संचालित हैं जहां की छात्राएं ओपन में पढ़ रही हैं। ज्ञात हो कि प्रथम ओपन स्कूल के तहत शाला त्यागी लड़कियों व महिलाओं के लिए बालोद कुन्दरुपारा में 10वीं नि:शुल्क ओपन पाठ्यक्रम की तैयारी करवाई जा रही है। इसके बदले में छात्राएं स्वयं के गांव में प्राथमिक शिक्षा प्रदान कर रही हैं।
हर शाम गांव में बच्चों को करते हैं इकट्ठा
दरबारी नवागांव के शिक्षक कोमलचंद साहू ने बताया संकुल केंद्र दरबारी नवागांव में करीब आठ गांव की छात्राएं पढ़ रही हैं। प्राथमिक स्तर के बच्चे घर में रिविजन नहीं करते इसलिए ओपन की छात्राएं समुदाय में कक्षा संचालित कर रही हैं। पालक कस्तुराम कृष्णन ने बताया पालकों को घर में समय नहीं मिलाता इसलिए यह बहुत अच्छी पहल है ओपन की छात्राओं की पढ़ाई से पालकों में खुशी का माहौल है।
खुद पढ़ कर बच्चों को कर रही हैं प्रोत्साहित
प्रथम ओपन स्कूल बालोद के इंचार्ज सुभाष डोंगरे ने बताया पढ़ रही छात्राएं स्वयं गांव में पढ़ा रही हैं। वर्तमान में 48 गांव में प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं इसका अनुकरण कर विगत वर्षों की छात्राओं से संपर्क कर इसे व्यापक स्वरुप दिया जाएगा। इसमें शिक्षा के बदले शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इस कार्य में गणित शिक्षक शेष नारायण शर्मा, जागेश्वर साहू, तामेश्वर साहू, धनेश भास्कर, चंद्रशेखर साहू, नरेद्र दुमनवार आदि का मार्गदर्शन मिल रहा है।
छात्राओं ने सराहनीय कदम उठाया
सरपंच ओमिन बाई निर्मलकर ने बताया ओपन स्कूल की छात्राओं ने सराहनीय कदम उठाया है। बच्चों की प्राथमिक शिक्षा मुख्य आधार है। मुझे देखने को मिला बच्चों को इंग्लिश विषय कठिन लगता है। ओपन की छात्रा महेश्वरी ने बताया शिला, आशा, देवकी, दानेश्वर हम पांच सदस्य शाम 6 से तक पढ़ाते हैं। यहां पहली से पांचवीं तक के 37 बच्चे पढऩे आते हैं।