शुक्रवार रात्रि हाथियों का दल वापस आने के बाद शनिवार को दिनभर दल की खबर नहीं मिली। डौंडी वन परिक्षेत्र रेंजर पुष्पेंद्र साहू ने बताया कि शुक्रवार को दल रजोलीडीह के जंगल में था, लेकिन शनिवार से उनकी खबर नहीं है। अंदेशा है कि वह रजोलीडीह के जंगल में ही होंगे। इधर वन विभाग के अमले ने ग्रामीणों को भी अलर्ट कर दिया है। उन्हें हाथियों से छेडख़ानी नहीं करने की सलाह दी है।
भानुप्रतापपुर डीएफओ मनीष कश्यप ने कहा कि हम अपने वन क्षेत्र से लगे ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग बालोद ने कोरर जंगल के पास पुलिया पर मशाल जला कर अपनी टीम की तैनाती कर दी है। जबकी हाथियों का दल कोरर जंगल जाना चाह रहे है। हम भी खुद चाहते हैं कि हाथी अपने रास्ते चले जाएं। रास्ते पर वन विभाग बालोद के कर्मचारी बैठ गए हैं। इस वजह से हाथी गांव में घुस गए थे, जिसे भगाने गांव वालों ने पटाखे फोड़े, डमरू बजाए व कुछ जगहों पर पत्थरबाजी की भी शिकायत मिली है। हम ग्रामीणों को समझा भी रहे हैं कि हाथियों के साथ छेडख़ानी न करें।
डीएफओ सतोविशा समाजदार ने कहा कि हाथियों के दल ने गुरुर ब्लॉक से डौंडी ब्लॉक तक सफर कर लिया, लेकिन किसी भी प्रकार का बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया। उनके रास्ते में खेत आए तो फसल को नुकसान हुआ है, जिसका चिन्हांकन कार्य अंतिम चरण में है। प्रभावित किसानों को मुआवजा मिलेगा। भानुप्रतापपुर से हाथियों को खदेड़ा जा रहा है। वापस बालोद जिले के जंगल में हाथियों का दल है, हमे इससे कोई आपत्ति नहीं है।
हाथी शांत स्वभाव के हैं। यही वजह है कि इस दल पर ग्रामीण पत्थरबाजी व छेडख़ानी कर रहे हैं। बार-बार हो रही पत्थरबाजी से हाथियों को गुस्सा न आ जाए। डर भी है कि गुस्से में आने से बड़ी घटना घट सकती है। लेकिन यह बात ग्रामीण नहीं समझ रहे है।
वन विभाग के मुताबिक तीन दिन पहले भी हाथियों दल इरागांव के पास पहाड़ पर चढऩे का प्रयास किया, लेकिन भानुप्रतापपुर की सीमा से लगे गांव के ग्रामीणों ने पत्थर बाजी कर दी। यही घटना शुक्रवार शाम 7 बजे हुई। इस बार हाथी पहाड़ को पार कर भानुप्रतापपुर के एरिया में प्रवेश कर चुके थे। पत्थरबाजी, मशाल जलाने के कारण रात्रि 9 बजे के करीब रजोलीडीह के जंगल में आ गए, जो अभी भी वहीं पर मौजूद है।
भानुप्रतापपुर के डीएफओ ने कहा कि भानुप्रतापपुर के जंगल से लगे ग्रामीणों को निर्देश है कि हाथियों से छेडख़ानी न करें। शुक्रवार को इरागांव की बस्ती में घुस गए थे। इस वजह से ग्रामीण घबरा गए। पत्थरबाजी व डमरू बजाने लगे। हालांकि वन विभाग बालोद भी जिस रास्ते पर हाथी जाना चाहता है, वहां पर अपने कर्मचारी तैनात कर दिए है। हाथी पहाड़ पार कर ग्रामीण इलाके में घुस रहे हंै। दरअसल हाथियों का दल कोरर के जंगल मार्ग की ओर जाना चाह रहे हैं। जानकारी विभाग के उच्च अधिकारी को भी दे दी है।
बालोद डीएफओ सतोविशा समाजदार ने कहा कि गरियाबंद से धमतरी होते हुए हाथी बालोद जिला में प्रवेश किया। गुरुर वन क्षेत्र से होते हुए डौंडी वन क्षेत्र तक बिना किसी परेशानी के सफर किया। जब भानुप्रतापपुर के रास्ते में जाने का प्रयास करते हैं तो वहां के ग्रमीणों ने हाथियों पर पत्थरबाजी व पटाखे फोड़कर वापस बालोद जिले की ओर खदेड़ देते हैं। हमने इसकी जानकारी भी सीसीएफ को दे दी है। भानुप्रतापपुर वन विभाग हमारे ही वन कर्मियों पर दोषारोपण कर रहा है। जिसके बाद हमने अपने सभी वन कर्मियों को रजोलीडीह वापस बुला लिया है।