भवन बनने के एक वर्ष बाद ही किसी काम का नहीं रहा। छत से पानी टपकता है। फर्श जगह-जगह दब गई है। दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। उसके बाद भी विभाग इस भवन में बच्चों को बैठा रहा था। चार माह पूर्व मामला समाचार पत्रों में आने के बाद विभाग ने बच्चों को वहां से हटाकर ग्राम के सामुदायिक भवन में केंद्र संचालन प्रारंभ कर दिया और भवन को लावारिस छोड़ दिया गया।
जिस सामुदायिक भवन में आंगनबाड़ी संचालित किया जा रहा है वहां बच्चों के लिए मूलभूत सुविधा नहीं है। प्रसाधन की व्यवस्था नहीं होने से बीच बस्ती में गलियों में बच्चों को खुले में जाना पड़ रहा है। केंद्र में 15 बच्चे हैं जिसमें बालिकाएं भी है, ऐसे में बच्चों को परेशानी हो रही है।
जर्जर भवन छोड़कर बच्चों को अन्यत्र बैठाया जा रहा है और भवन को खुला लावारिस छोड़ दिया गया है। खुला पड़ा आंगनबाड़ी भवन शराबियों का अड्डा बन गया है। प्रतिदिन लोग यहां बैठकर शराब पी रहे हैं एवं खाली बाटल एवं डिस्पोजल गिलास केंद्र में छोड़ रहे हैं। शरारती तत्वों ने भवन के अंदर शौच कर गंदगी भी कर दी है। वहीं खुला होने एवं रात्रि में एकांत पाकर प्रेमी युगलों को भी भवन के अंदर जाते देखा गया है।
भवन को जर्जर हुए तीन साल से अधिक हो गया है। महिला एवं बाल विकास के अधिकारी इसकी मरम्मत के लिए उच्च कार्यालय को पत्र लिखने की बात भी करते हैं, लेकिन कभी मरम्मत नहीं की गई। उल्टे बाहरी सुंदरता के लिए चित्रकारी जरूर करा दी गई थी। सरपंच इंद्रा बाई बंजारे ने कहा आंगनबाड़ी भवन के मरम्मत के लिए शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर राशि की मांग की गई है।