1३ दिनों में तैयार नहीं हो पाया जांच प्रतिवेदन विदित हो कि उक्त शिकायत व मांग पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 10 अगस्त को विकासखंड शिक्षा अधिकारी को शिकायत की बिंदुवार जांच कर प्रतिवेदन 7 दिनों के भीतर कार्यालय को प्रस्तुत करने कहा था, लेकिन मामले में अब तक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने में देरी की जा रही है। आज १३ दिन हो चुके हैं। मामले में बीइओ आरआर ठाकुर ने कहा कि उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी से बिंदुवार जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश प्राप्त हुआ था, जिस पर उन्होंने एबीइओ को जांच करने व रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है। तीन-चार दिनों में जांच रिपोर्ट आ जाएगी।
प्राचार्य की कार्यप्रणाली रही विवादों में दल्लीराजहरा. इधर डीएवी स्कूल की कार्यप्रणाली को लेकर प्राचार्य पर लगातार उंगलियां उठती रही है। नए सत्र में भी यही स्थिति निर्मित हुई है। इसी को देखते हुए प्रबंधन समिति ने वर्तमान प्राचार्य सीएम पांडेय का स्थानांतरण कर दिया। पर उनके चहेते श्रमिक संगठन व विरोधी खेमे के बीच नया विवाद पैदा हो गया। स्थानांतरण गलत : संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के संयुक्त खदान मजदूर संघ, छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ, हिन्दुस्तान स्टील एंपलाइज यूनियन एवं छग इंटक के पदाधिकारियों ने महाप्रबंधक को बताया है कि खदान कर्मचारियों व अधिकारियों के बच्चों को शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रेड यूनियनों की सहमति एवं सहयोग से डीएवी स्कूल को राजहरा में लाया गया। स्कूल की स्थिति संतोषप्रद है। चर्चा में इंटक अध्यक्ष अभय सिंह ने कहा प्राचार्य सीएम पांडेय का स्थानांतरण गलत है।
स्थानांतरण एक सतत प्रक्रिया : इधर भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध खदान मजदूर संघ के महामंत्री एमपी सिंह ने महाप्रबंधक से कहा कि डीएवी इस्पात स्कूल के प्राचार्य का स्थानांतरण प्रबंधन समिति द्वारा जारी आदेश के तहत तय किया गया है। इस आदेश के विरोध में राजहरा खदान समूह में कार्यरत कुछ श्रम संगठनों के नेता संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के बैनर तले अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए स्थानांतरण आदेश निरस्त करवाने माइंस में उत्पादन बंद करने की बात कहकर दबाव बनाया है।
स्थानांतरण एक सतत प्रक्रिया : इधर भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध खदान मजदूर संघ के महामंत्री एमपी सिंह ने महाप्रबंधक से कहा कि डीएवी इस्पात स्कूल के प्राचार्य का स्थानांतरण प्रबंधन समिति द्वारा जारी आदेश के तहत तय किया गया है। इस आदेश के विरोध में राजहरा खदान समूह में कार्यरत कुछ श्रम संगठनों के नेता संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के बैनर तले अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए स्थानांतरण आदेश निरस्त करवाने माइंस में उत्पादन बंद करने की बात कहकर दबाव बनाया है।