लोक निर्माण विभाग ने साफ कहा है कि जब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक निर्माण शुरू नहीं किया जाएगा। वहीं वन विभाग ने तो पेड़ काटने की अनुमति दे दी है पर बदले में पौधरोपण के लिए अन्य जगह पर जमीन नहीं मिलने के कारण कटाई शुरू नहीं हो पा रही है।
बता दें कि जिले के दूसरे बाइपास सड़क निर्माण के लिए लगभग 2500 छोटे बड़े पेड़ों की कटाई के लिए पीडब्ल्यूडी ने चिंहित कर वन विभाग को दे दिया है। वन विभाग के 6 हेक्टेयर पर लगे पेड़ों की कटाई के बदले राजस्व विभाग द्वारा अन्य जगह पर जमीन दी जाएगी। जिले में देने लायक 12 हेक्टेयर जमीन कहीं पर भी नहीं मिल रही है। बायपास के लिए पीडब्ल्यूडी ने वन विभाग की 6 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया है। इस 6 हेक्टेयर जमीन के बदले राजस्व विभाग द्वारा वन विभाग को दोगुणा जमीन यानी 12 हेक्टेयर दी जाएगी। राजस्व विभाग को जिले में कहीं पर भी 12 हेक्टेयर खाली जमीन नहीं मिल रही है।
पीडब्ल्यूडी ने इस सड़क निर्माण के लिए वन विभाग की जमीन में आने वाले 2500 पेड़ की कटाई करने चिन्हाकित किया है। वन विभाग को इस शर्त पर अनुमति दी गई है कि जितने पेड़ों की कटाई की जाएगी उससे दोगुणा जमीन किसी अन्य जगह पर पौधरोपण के लिए दी जाएगी। जानकारी के अनुसार जमीन वन विभाग को अभी तक नहीं मिली है।
विभागीय जानकारी के मुताबिक इस बायपास सड़क निर्माण में कुल 35 किसानों की 1.46 हेक्टेयर जमीन दायरे आ रही है। अभी भी 9 किसानों को मुआवजा दिया जाना शेष है। इन किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है। सभी किसानों को मुआवजा मिलने के बाद ही सड़क निर्माण की टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।
बता दें कि ग्राम तरौद से दैहान तक, अमलीडीह, खेरथाडीह और देहान होते हुए यह सड़क बनाई जाएगी। सड़क 7.8 किमी लंबी और सात मीटर चौड़ी होगी। बायपास सड़क बन जाने से नगर में भारी वाहनों का प्रवेश नहीं होगा। इसका उपयोग भारी मालवाहक वाहनों को शहर से बाहर ले जाने के लिए किया जाएगा।
इस बायपास सड़क निर्माण के लिए लगभग 2500 पेड़ों की कटाई की जाएगी। सात मीटर के दायरे में आने वाले छोटे छोटे पेड़ों को काटे जाएंगे। पेड़ों को विभाग की ओर से चिन्हांकन कर लिया गया है। जल्द ही वन विभाग से अनुमति एवं किसानो को मुआवजा के बाद सड़क निर्माण के लिए टेंडर की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
पीडब्ल्यूडी के एसडीओ बीके गोटी ने कहा कि किसानों को मुआवजा मिलने के बाद सड़क निर्माण की कार्यवाही शुरू की जाएगी। निर्माण की जद में आने वाले लगभग 2500 पेड़ों का चिन्हांकन कर वन विभाग को भेजा गया है। वन विभाग को उनकी जमीन के बदले अन्य जगह पर जमीन देने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।