जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिले के 826 प्राथमिक शाला और 413 माध्यमिक शाला सहित 1239 शालाओं में मध्याह्न भोजन संचालित किया जा रहा है। छात्रों की संख्या 85,016 है। भोजन संचालन का कार्य महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। रसोइयों का मानदेय नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है।
कलक्टर ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) के तहत स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी ली। उन्होंने योजना के तहत शत-प्रतिशत स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के निर्देश दिए। कलक्टर ने स्कूलों में शौचालय और पेयजल की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि बच्चों का हाथ धोने का स्थल और बर्तन धोने का स्थान अलग-अलग रहे। बैठक में आदिवासी विकास विभाग की उपायुक्त माया वारियार, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रात्रे, जिला खाद्य अधिकारी केएस नाग सहित खंड शिक्षा अधिकारी और समिति के सदस्य मौजूद थे।
बालोद. जिले के आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित 86 छात्रावास-आश्रमों तथा स्थानीय शालाओं के बोर्ड कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को विशेष कोचिंग दी जाएगी। कलक्टर किरण कौशल के दिशा-निर्देश पर इसके अंतर्गत अंग्रेजी, विज्ञान, गणित विषयों पर विशेष शिक्षकों के माध्यम से अध्यापन कराया जा रहा है। इससे बोर्ड कक्षाओं के परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहे। आदिवासी विकास विभाग की उपायुक्त ने बताया स्कूल से आने के बाद शाम को न्यूनतम डेढ़ से दो घंटे की कक्षा अतिथि शिक्षक लेंगे जिससे स्कूल में किसी विषय या टॉपिक को समझने में दिक्कत आने पर उसका निराकरण समझाया जाता है।
योजना में बीकॉम, बीएससी, एमएससी, बीई, बीई (कम्प्यूटर साइंस) तक शैक्षणिक अर्हता रखने वाले 72 व्यक्तियों द्वारा छात्रावासों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा दी जा रही है। उपायुक्त ने बताया कि योजना में वर्ष 2017-18 में जिले के अंतर्गत 835 छात्रों को लाभ दिया गया था, किन्तु इस बार 1075 छात्रावासी छात्र-छात्राओं के साथ अंचल के स्थानीय गरीब छात्र-छात्राओं को विशेष कोचिंग का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया पिछले वर्ष कोचिंग का संचालन तीन माह हुआ था, परंतु इस बार चार माह तक कोचिंग का संचालन किया जाएगा।