पहले दिन ही पुलिस सुरक्षा कर्मी कॉलेजों में नजर नहीं आए
परीक्षा देने पहुंचे छात्रों को केवल ओएमआर शीट भरने में ही परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि परीक्षा केंद्र की अव्यवस्थाओं से भी दो-चार होना पड़ा। एक ओर जहां परीक्षा कक्ष में पानी नहीं पिलाए जाने की नियम से परीक्षार्थी प्यासे रह गए, वहीं दूसरी ओर जिले के लीड कॉलेज के नए भवन में विद्युत कनेक्शन नहीं लगे होने की वजह से पंखा होने के बावजूद गर्मी में तपते रहे। इधर परीक्षा के पहले दिन ही पुलिस सुरक्षा कर्मी कॉलेजों में नजर नहीं आए। कॉलेज के ही कर्मचारियों ने परीक्षार्थियों की प्रवेश पत्र जांचकर कक्ष में प्रवेश दिया। परीक्षार्थियों को परीक्षा कक्ष में प्रवेशपत्र व काले स्याही वाले बॉल पेन लेकर जाने की अनुमति दी। अन्य सामग्री कॉलेज परिसर में जमा करवाए।
परीक्षा देने पहुंचे छात्रों को केवल ओएमआर शीट भरने में ही परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि परीक्षा केंद्र की अव्यवस्थाओं से भी दो-चार होना पड़ा। एक ओर जहां परीक्षा कक्ष में पानी नहीं पिलाए जाने की नियम से परीक्षार्थी प्यासे रह गए, वहीं दूसरी ओर जिले के लीड कॉलेज के नए भवन में विद्युत कनेक्शन नहीं लगे होने की वजह से पंखा होने के बावजूद गर्मी में तपते रहे। इधर परीक्षा के पहले दिन ही पुलिस सुरक्षा कर्मी कॉलेजों में नजर नहीं आए। कॉलेज के ही कर्मचारियों ने परीक्षार्थियों की प्रवेश पत्र जांचकर कक्ष में प्रवेश दिया। परीक्षार्थियों को परीक्षा कक्ष में प्रवेशपत्र व काले स्याही वाले बॉल पेन लेकर जाने की अनुमति दी। अन्य सामग्री कॉलेज परिसर में जमा करवाए।
ओएमआर शीट ने रखा प्यासा
दुर्ग यूनिवर्सिटी की ओर से इस बार ओएमआर शीट वाली उत्तरपुस्तिका दी, जिसकी वजह से परीक्षार्थियों को प्यासा रहना पड़ा। लीड कॉलेज के प्राचार्य टीआर डहरे ने बताया कि दुर्ग यूनिवर्सिटी के नियम के तहत परीक्षा के समय पानी नहीं पिलाया जा सकता, क्योंकि पानी पिलाते समय पानी गिरने से ओएमआर शीट खराब हो सकती है। इस वजह से परीक्षार्थियों को पानी नहीं पिलाया गया। हालांकि, इसके विकल्प के रूप में परीक्षा कक्ष के बाहर घड़ा रखा जा सकता था, जहां जाकर परीक्षार्थी पानी पी सकते थे, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने इसकी व्यवस्था ही नहीं की।
दुर्ग यूनिवर्सिटी की ओर से इस बार ओएमआर शीट वाली उत्तरपुस्तिका दी, जिसकी वजह से परीक्षार्थियों को प्यासा रहना पड़ा। लीड कॉलेज के प्राचार्य टीआर डहरे ने बताया कि दुर्ग यूनिवर्सिटी के नियम के तहत परीक्षा के समय पानी नहीं पिलाया जा सकता, क्योंकि पानी पिलाते समय पानी गिरने से ओएमआर शीट खराब हो सकती है। इस वजह से परीक्षार्थियों को पानी नहीं पिलाया गया। हालांकि, इसके विकल्प के रूप में परीक्षा कक्ष के बाहर घड़ा रखा जा सकता था, जहां जाकर परीक्षार्थी पानी पी सकते थे, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने इसकी व्यवस्था ही नहीं की।
सरल रहा हिन्दी का प्रश्नपत्र
दुर्ग विश्वविद्यालय की परीक्षा की शुरुआत बीए, बीकॉम, बीएससी तृतीय वर्ष और बीएससी होमसाइंस के आधार पाठ्यक्रम में हिन्दी विषय के साथ हुई। परीक्षाथियों ने हिन्दी के प्रश्नों को सरल बताते हुए कहा कि हल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। बाकि विषयों की परीक्षा भी इसी तरह से सरल रहीं तो परीक्षा पास करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
दुर्ग विश्वविद्यालय की परीक्षा की शुरुआत बीए, बीकॉम, बीएससी तृतीय वर्ष और बीएससी होमसाइंस के आधार पाठ्यक्रम में हिन्दी विषय के साथ हुई। परीक्षाथियों ने हिन्दी के प्रश्नों को सरल बताते हुए कहा कि हल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। बाकि विषयों की परीक्षा भी इसी तरह से सरल रहीं तो परीक्षा पास करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
पीडब्ल्यूडी व विद्युत विभाग को पत्र लिखा गया था, पर अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया
पीजी कॉलेज बालोद के प्राचार्य टीआर डहरे परीक्षा शुरू होने से पहले नए भवन में विद्युत कनेक्शन के लिए पीडब्ल्यूडी व विद्युत विभाग को पत्र लिखा गया था, पर अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है।
पीजी कॉलेज बालोद के प्राचार्य टीआर डहरे परीक्षा शुरू होने से पहले नए भवन में विद्युत कनेक्शन के लिए पीडब्ल्यूडी व विद्युत विभाग को पत्र लिखा गया था, पर अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है।