
पलारी में जो भी पंचायत में बैठा एवं जो पटवारी आया। लगभग सभी ने संपदा को खुलेआम लुटने दिया। स्थिति यह है कि जहां कुछ साल पहले खाली घास भूमि थी। वहां अब बड़े-बड़े निजी गोदाम बन गए। आरा मिल खड़ी हो गई। व्यवसायिक परिसर बन गए। खेत एव बाड़ी बनाने वालों की गिनती ही नहीं है। जिसे जहां जितनी जमीन मिली, कब्जा कर लिया। ग्राम के बाहर के लोगों ने भी पलारी की जमीन पर कब्जा किया। इन रसूखदारों के आगे किसी की नहीं चली।
इस प्रकरण में राजस्व अमला पूरी तरह शांत है। कब्जाधारी क्षेत्रों में जमीन नापने सरपंच सहित पंच ही आ रहे हैं। पटवारी, कोटवार या अन्य कोई राजस्व अमला नहीं जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधि कई बार जमीन की नाप कर चुके हैं।
ग्राम के गरीब मजदूर परिवार घास भूमि में मिट्टी केवलु से घर बनाकर वर्षों से रह रहे हैं। चार-पांच पंचायत कार्यकाल निकल गया। किसी पंचायत ने आपत्ति नहीं की। तब पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि जब धनकुबेर अरबों की जमीन दबा रहे हैं, तो गरीब अपने रहने की जरूरत पूरी कर रहे हैं। जब हटेगा तो सभी का हटेगा। लेकिन वर्तमान पंचायत में गरीबों के खिलाफ डंडा चलाना आरंभ कर दिया है। लोगों ने आरोप लगाया कि पहले उन्हें हटने के लिए कहा गया। इस पर कहा कि यदि रहना है तो ढाई डिसमिल क्षेत्र में रहो। शेष जमीन को छोड़ो। ढाई डिसमिल के बदले 20000 दो। आरोप यह भी है कि 20 से अधिक लोगों ने पंचायत प्रतिनिधियों को बीस-बीस हजार दे दिया हैं।
ग्रामीणों ने बताया जब विवाद बढ़ा एवं ग्रामीण संगठित होने लगे तो पंचायत प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों में फूट डालने का प्रयास किया। किसी को कहा कि आधा एकड़ जमीन देंगे। सबको अलग करो, किसी को कहा 20000 मत देना। शिकायत वापस ले लो पर ग्रामीणों ने कहा हम एक साथ मिलकर लड़ेंगे।
सरपंच राम सिंह मार्कंडेय ने कहा राशि लेने का आरोप गलत है, हमने किसी से कोई राशि नहीं ली है। लोगों से कहा कि ढाई डिसमिल में ही कब्जा करें, शेष को छोड़ दें, पूर्व में भी सरपंचों ने घास भूमि को बेचा है, इसलिए मैं भी दे रहा हूं।
नायब तहसीलदार नितिन ठाकुर ने बताया कि हमने पटवारी को मामले में रिपोर्ट मंगाई है। जांच के बाद प्रकरण कायम कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।