मामले में ग्रामीणों के विरोध के बाद सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने काम बंद करा दिया। इस कार्य में लगभग 2 लाख का काम हो चुका है। इसमें गड़बड़ी सामने आने के बाद इतनी राशि का काम करने वाले मजदूरों को किस मद से राशि भुगतान किया जाएगा यह जांच का विषय है। ऐसे में कहा जा रहा है कि सरकार बदलते ही ग्राम में भ्रटाचार सामने आ रहा है।
लोगों का आरोप है कि खसरा नंबर बदल कर काम करवाने वाले सरपंच, सचिव ग्रामीणों को गुमराह में रखकर 3 लाख रुपए के मनरेगा कार्य में स्थल पर सूचना बोर्ड पर किसी भी तरह के कार्य का नाम नहीं लिखा गया है। इस पर ग्रामीणों को संदेह हो रहा है।
यहां पता चला कि जिस निजी जमीन पर काम किया जा रहा है वह लक्ष्मण निषाद के नाम पर है, जिसकी बहू पंचायत की पंच हैं। वहीं जमीन मालिक की नातिन रोजगार सहायिका हैं। मामले में ग्रामीणों का मानना है कि सरपंच व सचिव इस कार्य को गुपचुप तरीके से करवा रहे हैं। इस संबंध में विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर आनन-फानन में संबंधित लोग पद और नौकरी बचाने के लिए ग्राम सभा बुलाकर अपनी गलती स्वीकार कर ग्रामसभा में अनुमोदन करवाया है कि धोखे से दूसरी की जमीन खसरा नंबर पर कार्य करवा लिया गया है।
जिम्मेदारों का कहना है
ग्राम ओरमा सचिव संतोष साहू ने कहा भूलवश दूसरे के खसरा नंबर की जमीन पर खुदाई हो गई है। इस बात को लेकर ग्राम सभा रखी गई थी।
रोजगार सहायक सुमन निषाद ने कहा फाइल में दोनों खसरा नम्बर जमा है, यह काम पंचायत सचिव के हिसाब से हो रहा है।
मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी योगेश देवांगन ने कहा मामले की जानकारी मिली है। पंचायत जाकर स्थल निरिक्षण कर मामले की जांच की जाएगी।
जनपद सीईओ वर्षा रानी ने कहा मामले की जांच करवाती हूं। खसरा नम्बर बदलकर कार्य करवाया है तो कार्रवाई की जाएगी।
लक्ष्मण निषाद जमीन मालिक
3 लाख रुपए की स्वीकृति हुई है।
2 लाख रुपए का काम हो चुका है।
70 डिसमिल पर स्वीकृति
18 डिसमिल वाली दूसरीे जगह पर काम हुआ।
निर्माण स्थल पर अभी तक नहीं लगाया सूचना बोर्ड।