राजनांदगांव मुख्य मार्ग पर स्थित क्रॉसिंग में आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक बंद हो जाती है। इसके कारण दोनों तरफ लंबी कतार लग जाती है। मालगाड़ी गुजरने के कारण बार-बार इसे बंद करने की नौबत भी आती है। इस दौरान जल्दबाजी में लोग बंद क्रॉसिंग को भी इधर-उधर से पार करने की कोशिश करते हैं। इससे हादसे का खतरा बना रहता है।
रेलवे के रिकॉर्ड के अनुसार दल्ली राजहरा माइंस से लगातार भिलाई इस्पात संयंत्र को कच्चे लोहे की सप्लाई होती है। हर आधे से एक घंटे के बीच एक मालगाड़ी गुजरती है। इस कारण कई बार हर 15 से 20 मिनट में क्रॉसिंग बंद होती है। यह जरूरी नहीं कि इस रास्ते से गुजरे हैं तो वापसी के 5 मिनट में रास्ता खुला मिलेगा। कोई बालोद से निकलकर पाररास तक पहुंचता है और 5 मिनट बाद बालोद आने की कोशिश करें तो उन्हें अक्सर क्रॉसिंग बंद मिलती है। ऐसी स्थिति में जाम लगता है, जिसमें लोग फंस जाते हैं।
पाररास-बूढ़ापारा के बीच रेलवे ने अंडरब्रिज बनाया है, जिसमें अक्सर पानी भरा रहता है। इसके कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। पाररास रेलवे क्रॉसिंग पर जल्द ओवरब्रिज बनाना जरूरी हो गया है। जिससे ट्रैफिक समस्या से राहत मिले। इसलिए लोग जल्दबाजी में अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
रेलवे क्रॉसिंग ज्यादा समय तक बंद रहने से कई बार संजीवनी 108, प्राइवेट एंबुलेंस भी जाम में फंस जाती है। जबकि संजीवनी एंबुलेंस को आने-जाने के लिए रास्ता दिया जाना चाहिए। कभी बार गंभीर मरीज भी फंस जाते हैं। एंबुलेंस कर्मचारियों को उन्हें जल्द अस्पताल पहुंचाना चुनौती होती है।
कुछ वर्ष पहले जब नवोदय स्कूल का भूमिपूजन करने इसी मार्ग से डॉ. रमन सिंह का काफिला गुजर रहा था तब क्रॉसिंग बंद हो गई थी। उस समय उन्हें भी 10-15 मिनट इंतजार करना पड़ा था।
लगभग दो साल पहले पाररास के पास पिकअप और मालगाड़ी की टक्कर हो गई थी। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। पिकअप में सवार लोग सब्जी लेकर पाररास की ओर से जा रहे थे। ऐन वक्त में पिकअप खराब हो गई और मालगाड़ी ने उसे चपेट में ले लिया। लगभग 200 मीटर तक पिकअप घसीटते हुई गई। इस तरह खुद की लापरवाही और रेलवे की अधूरी व्यवस्था के कारण लोगों की जान चली जाती है। कई बार मवेशी भी चपेट में आ जाते हैं।