आसानी से मिल रही गांवों में खांसी व नींद की दवा
जानकारी के मुताबिक गांव के किराना दुकान से लेकर पान ठेले में खांसी व नींद की दवा आसानी से मिल जाती हैं। इसी दवा को 13 से 17 साल के किशोर नशे के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। इसका खुलासा बीते दिनों पुलिस की छापेमारी में हुई थी। जहां से भारी मात्रा में नशीली दवा के रैपर बरामद हुआ था।
शराब से ज्यादा नशा गोलियों में
बताया जाता है कि शराब से भी ज्यादा नशा गोलियों में होती है। युवा पीढ़ी जिस सस्ते और सुलभ गोलियों का सेवन बतौर नशा कर रहे हैं वह न सिर्फ स्वास्थ्य के खतरनाक है बल्कि सभ्य समाज के लिए भी कंलक है। युवा पीढ़ी इसके आदी हो चुके हैं जिसे काउंसिलिंग के माध्यम से ही छुड़ाया जा सकता है। पुलिस ने शहर के बूढ़ापारा निवासी विश्वपति गोराई पिता जीरुमल (26 वर्ष) को उसके घर से नशीली दवा बेचते हुए गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपी के घर से स्वारमा प्राक्सीवान की 1752 नग कैप्सूल बरामद कर धारा-21बी एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई कर जेल भेज दिया था।
बाप चला रहा फर्जी दवाखाना
नशीली दवाओं के साथ पकड़ा गया आरोपी विश्वपति गोराई नशीली दवाओं का कारोबार कई दिनों से कर रहा था। वहीं उसका पिता जीरुमल गोराई नगर के रामदेव चौक के समीप चांदसी दवाखाना का संचालन कर रहा है। उसके पास ना कोई डिग्री न ही स्वास्थ्य विभाग से कोई पंजीयन। वह किसके अनुमति से दवाखाना चला रहा है किसी को पता नहीं। लोगों की मानें तो बाप-बेटा दोनों धीमा जहर का कारोबार कर युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। जानकारों की मानें तो जो दवा वे बेचते हैं उसे एमबीबीएस डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं दी जाती है। आरोपी ऐसी दवाओं को अन्य राज्यों से मंगाते होंगे।
नशे के रूप इस्तेमाल की जा रही दवाइयां
एल्प्रेक्स ट्राइका, एटीवान, लोराजीपाम, रिवोट्रील, क्लोनाजीपाम, प्राक्सीवान ऐसी दवाएं हैं, जिनका उपयोग नशे के लिए किया जाने लगा है। इन दवाओं को ज्यादातर नींद ना आना, दर्द और तनाव दूर करने मरीज को दिया जाता है। लोग इन दवाओं को अपनी सहूलियत के अनुसार लेकर नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं।
अल्कोहल से ज्यादा नुकसानदायक नशीली गोलियां
डॉ. प्रदीप जैन ने बताया कि इन दवाइयों का साइड इफेक्ट्स इतना है कि इसका सेवन करने के बाद इंसान ओवर कॅान्फिडेंस में चला जाता है। अल्कोहल के मुकाबले ये नशीली दवाइयां ज्यादा नुकसानदायक है। अल्कोहल पीने वालों को डोज पता होता है लेकिन गोलियों का डोज दिनोंदिन बढ़ते जाता है।