जीवनभर का साथ निभाने की कशमें खाकर सात फेरे लिए, जब पत्नी मुसीबत में आई तो कसमों को ताक पर रखकर स्वार्थ में डूब गया।
बालोद. जीवनभर का साथ निभाने की कशमें खाकर सात फेरे लिए, जब पत्नी मुसीबत में आई तो कसमों को ताक पर रखकर स्वार्थ में डूब गया। पति ने जीवन के मझदार में छोड़कर आंख खराब हो चुकी पत्नी को जीवनभर के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया। पर भगवान ने उनकी मदद दो बच्चों के रूप में की। उन्होंने अपऽे बच्चों के सहारे ही कलक्टोरेट पहुंचकर जीवन-यापन में मदद के तहत शासन की योजनाओं का लाभ देने की गुहार लगाई, जिससे कि उनके बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो सके।
शादी के समय थी स्वस्थ
नेत्रहीन गायत्री बाई (30) जो मूल निवासी भंडेरा और वर्तमान में कुंदरूपारा स्थित अटल आवास में रहकर गुजर-बसर कर रही है। उन्होंने बताया कि उसकी शादी 12 साल पहले हिन्दू रीति-रिवाज से ग्राम बिरेझर के जनकलाल के साथ हुई थी। उन्होंने बताया शादी के समय सब ठीक था, पर आगे स्वास्थ्य में कमजोरी के साथ उसकी आंखें भी कमजोर होती चली गई। गायत्री ने बताया कि वह अपने पति के साथ मात्र तीन साल खुशी से जीवन बिताई।
खराब हो गई आंखें, पति करने लगा मारपीट
गायत्री बाई ने बताया कि जब उनके दो बच्चे हुए तो उनकी आंखें धीरे-धीरे और कमजोर होती चली गई। फिर धीरे-धीरे दोनों आंख पूरी तरह से खराब हो गईं। आंख का इलाज तो कराना चाहा, पर पति मारपीट करने लगा। नेत्रहीन होने के बाद लगातार विवाद बढ़ता गया। गायत्री ने कहा अंत में तलाक लेना ही उचित समझा। तीन साल पहले तलाक होने के बाद मैं बच्चों के साथ संघर्ष कर रही हूं। उन्होंने जानकारी दी कि उसके पति से अब गुजारा भत्ता के रूप में 1200 रुपए मिलते हैं। पर उतनी राशि में दो बच्चों के साथ गुजारा करना संभव नहीं है।