गंगरेल बांध के नहर में 400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है वह पहले भिलाई स्टील प्लांट को जाएगा। वहीं गेट नंबर 8 से छोड़ा गया 4000 क्यूसेक पानी रुद्री बैराज में जाएगा। सिंचाई विभाग को अब भी उम्मीद है कि बारिश होगी एवं सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता कम पड़ेगी। गंगरेल बांध में 32 टीएमसी क्षमता में मात्र 17 टीएमसी पानी भर पाया है उसमें से 6 टीएमसी पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता। शेष 11 टीएमसी पानी भिलाई, रायपुर, पेयजल, निस्तारी, वाष्पीकरण के लिए देने के बाद सिंचाई के लिए इतना पानी नहीं बचेगा कि उसमें फसल पकते तक पानी दिया जा सके। विभाग इसीलिए एहतियात बरत रहा है।
अभी भादो मास शेष है, इस माह में भी बारिश की अच्छी संभावना रहती है लेकिन बीते वर्षों का रिकार्ड देखा जाए तो भादो मास में पानी गिरने की मात्रा लगातार घट रही है। वहीं लौटते मानसून से भी बारिश की संभावना रहती है। यदि इस दौरान सभी व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेकर अपने-अपने घरों में सोखता एवं रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं तो भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है जिससे कम से कम गर्मी के दिनों में पीने के लिए पानी की समस्या को कम किया जा सकता है।
महानदी सागर परियोजना के अन्य बांधों दुधावा, मुरूमसिल्ली में भी आधे से कम पानी भरा है जिससे वहां से पानी मिलने की संभावना नगण्य है। ऐसे में उपलब्ध जल का ही अधिकाधिक उपयोग हो सके यह जवाबदारी किसानों को भी हैं। चूंकि पूरा क्षेत्र अल्प वर्षा से ग्रस्त हैं जिससे गुरुर सहित बालोद, धमतरी, बलौदाबाजार, भाटापारा, पाटन सभी क्षेत्र से पानी की मांग हो रही है। इसको देखते हुए आने वाले समय में स्थिति बेहद चिंतनीय होगी।
सिंचाई विभाग के एसडीओ एलआर साहू ने कहा कि बांध में पानी आधा है। अभी पानी भिलाई स्टील प्लांट के लिए छोड़ा गया है। जल्द ही सिंचाई के लिए पानी देंगे, लेकिन कब यह अभी स्पष्ट नहीं है।
जिला मुख्यालय में पौने घंटे तक हुई तेज बारिश
बालोद @ patrika . जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार दोपहर झमाझम बारिश से पूरा शहर तरबतर हो गया। इस सीजन में जिला मुख्यालय में हुई अब तक की सबसे तेज बारिश है। शुक्रवार को जिला मुख्यालय में 40 मिनट तक तेज बारिश हुई। इस बारिश से नालिया ओवर फ्लो हो गई। जिला मुख्यालय के विभिन्न मार्ग बारिश के दौरान जलमग्न हो गया। वहीं कुछ दुकानों में पानी भर गया। नालियों में कचरा भरा होने के कारण पानी के साथ बहकर सड़को पर आ गया था।
इस बारिश ने जहां लोगों को गर्मी से राहत दी, वहीं किसानों के मुरझाए फसलों ले लिए वरदान साबित हुआ। इस बार बारिश नहीं होने से फसल सूखने लगे थे।