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जिले के सरकारी स्कूलों में लगाए अग्निशमन यंत्र बेकार, शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों के पास नहीं इसे देखने की फुर्सत

locationबालोदPublished: Sep 18, 2018 01:09:36 am

शिक्षा विभाग ने लाखों की राशि खर्च कर जिले भर के स्कूलों में अग्निशमन यंत्र तो लगाए हैं, जो किसी काम का नहीं रह गया है। यह महज दिखावा साबित हो रहा है। कारण ये कि बीते 6 साल में इस यंत्र का रिफिलिंग ही नहीं कराए जा सके हैं।

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जिले के सरकारी स्कूलों में लगाए अग्निशमन यंत्र बेकार, शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों के पास नहीं इसे देखने की फुर्सत

बालोद . शिक्षा विभाग ने लाखों की राशि खर्च कर जिले भर के स्कूलों में अग्निशमन यंत्र तो लगाए हैं, जो किसी काम का नहीं रह गया है। यह महज दिखावा साबित हो रहा है। कारण ये कि बीते 6 साल में इस यंत्र का रिफिलिंग ही नहीं कराए जा सके हैं।कहा जाए ऐसे में ये केवल शो पीस बनकर रह गया है। यनि अगर किसी कारण से स्कूलों में आग की घटना हो गई तो ये यंत्र काम नहीं आएंगे।
आग बुझाने नहीं दिया प्रशिक्षण
बताया गया है कि देश के कुछ महानगरों में कुछ साल पहले हुई आग की घटना के बाद प्रशासन ने स्कूल भवनों में अग्निशमन यंत्र लगाने का फैसला लिया था। उसके बाद लाखों की राशि से आग बुझाने वाली टंकियां अग्निशमन यंत्र खरीदे गए। आर्डर पर 2012-13 में इन यंत्रों की सप्लाई जिले के सभी शासकीय स्कूलों में की गई थी। पर यहां ताज्जुब की बात ये है कि शिक्षकों को प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया।
शिक्षकों को चलाने ही नहीं आता
हालत ऐसी है कि अगर कहीं ऐसी होई घटना घट जाए, तो अग्निशमन यंत्र को चलाने वाला कोई नहीं मिलेगा। शिक्षकों को इसे चलाने ही नहीं आता। अब तो इस यंत्र की स्थिति ऐसी हो गई है कि शिक्षा विभाग ने आज तक इनकी रिफिलिंग भी नहीं करवा पाए हैं। 6 साल से यह ऐसे ही स्कूलों में लटककर शोभायमान है।
संवेदनशील जगह पर नहीं आता किसी को यंत्र चलाना
बता दें कि जिले के सभी शासकीय स्कूलों में अग्निशमन यंत्र तो लगा दिए गए हैं जो जरुरी भी है। संवेदनशील जगह जहां बच्चे भविष्य गढऩे आते हैं, ऐसी जगह में यंत्र होते हुए भी अगर कोई ऐसी घटना घट जाए, तो यंत्र को चालने वाला भी नहीं है। यंत्र लगाने के बाद किसी को प्रशिक्षण देने की पहल भी नहीं की जा सकी है। जबकि जिले के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन को लकड़ी चूल्हे में जलाकर पकाते हंै, ऐसे में स्कूलों में अग्निशमन यंत्र का होना जरुरी है, पर चलाने वाला कोई नहीं है।
व्यक्तिगत या सामूहिक परेशानी की शिकायत पेटी होने लगी गायब
इधर दूसरी ओर छात्र-छात्राओं को व्यक्तिगत या सामूहिक परेशानी है, तो उसकी शिकायत के लिए स्कूल में शिकायत पेटियां लगाई गई है। पर अधिकर स्कूलों में ये पेटियां गायब दिख रही है, तो कई स्कूलों में यह पेटी लगाई नहीं जा सकी है। वहीं स्कूलों में पास्को बॉक्स का भी अता-पता नहीं है। जबकि शासन के आदेश पर ही स्कूलों में पास्को बॉक्स, शिकायत पेटी लगाई गई थी।
महीनों से नहीं खोली जा सकी हैं पाक्सो बाक्स
यहां हद हो गई कि शिकायत पेटी में शिकायत की बजाए बच्चे देवी-देवताओं और हीरो-हीरोइनों की फोटो डाल दे रहे हैं। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चों में इस बाक्स की समझ नहीं है या कहा जाए बच्चे जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं या फिर शिक्षक इस बाक्स का महत्व ही नहीं बता पाए हैं ऐसा लगता है। बॉक्स में शिकायत पत्र की बजाय हीरो-हीरोइनों की फोटो मिल रही है। बताया गया है कि शिक्षा विभाग ने बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से स्कूलों में लगाए पाक्सो बॉक्स व शिकायत पेटी को खाला नहीं जा सका है। कई स्कूलों में जब से लगा है तब से उसे खोला ही नहीं गया है।
शिकायत व सुरक्षा के लिए लगाए हैं बाक्स, बचे स्कूलों में लगा रहे हैं
मामले में डीपीसी पीसी मरकले ने कहा कि जिले के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा व सुझाव तथा शिकायत के लिए पास्को बॉक्स व शिकायत पेटी लगाए गए हैं। अभी कई स्कूलों में लगाए जा रहे हैं। सभी प्रधान पाठकों को निर्देश दिए गए हैं कि समय पर शिकायत पेटी खोलें और समय पर शिकायत का समाधान करें। अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग के विषय पर जिला शिक्षा विभाग ही बता पाएगा।
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