इधर मछुआरों और शिवसेना ने तत्काल बाहरी व्यक्तियों को जिले के जलाशयों को मछली मारने ठेके पर न देकर जिले के मछुआरों को ठेका दिए जाने की मांग की। यही नहीं शासन-प्रशासन को यह चेतावनी भी दी कि अगर मांग पूरी नहीं की गई तो मछुआरे और शिवसेना उग्र आंदोलन करेंगे। मांग पत्र अपर कलक्टर तनुजा सलाम को सौंपा है।
जिले के मूल मछुआरा हो गए बेरोजगार
शिव सेना के प्रदेश महासचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा सरकार ने जिले के तीन बड़े जलाशयों को बिहार, राजस्थान के लोगों को ठेके पर दे दिया है जो जिले के मछुआरों को मछली पकडऩे नहीं दे रहे हंै। ऐसा करने पर वे गाली देते हुए मारपीट करते हैं।
जानकारी दी कि जिले में हजारों की संख्या में मछुआ परिवार हैं, पर इन लोगों के लिए अब रोजगार ही नहीं है, नतीजा यह है कि जिले के मूल मछुआरा बेरोजगार हो गए हैं। बाहरी मछुआरा रौब दिखा रहे हैं। मछुआरों ने सरकार के इस नियम को मछुआरों के विरोध में बताया। कहा शासन सिर्फ बाहरी लोगों को रोजगार देकर मूल निवासियों की परेशानी बढ़ा रहे हैं।
बाहरी को रोजगार और मूल निवासी भूखे मरने की स्थिति में
मछुआरे भागवत राम ने बताया जिले में भी हजारों मछुआरे हैं पर सरकार क्यों बाहरी लोगों को बुलाकर यहां के जलाशयों को ठेके पर दे रही है यह समझ से परे है। सरकार के इस निर्णय से मछुआरों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। उन्होंने कहा इन्ही के भरोसे ही पूरा परिवार चल रहा है।
सरकार के नए आदेश ने तो मछुआरों की कमर तोड़ दी है। इस दौरान शिव सेना के प्रदेश सह सचिव शंकर चैनानी ने बताया सरकार मूल छत्तीगढिय़ों को भूल रही है। आउट सोर्सिंग करा रही है। छत्तीसगढ़ में ही छत्तीसगढिय़ों को काम नहीं मिल रहा है जो शर्म की बात है। मछुआरों ने साफ कहा अगर बाहरी को ठेका देना बन्द नहीं किया तो आगे उग्र आंदोलन करेंगे।