गेड़ी व होंगे विविध खेल, घर में बनेंगे पकवान
हरेली पर बांस की गेड़ी बनाकर बच्चे इस पर चलते हैं। कहीं-कहीं गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता भी होगी। कई जगह कुर्सी दौड़, मटका फोड़ सहित विविध आयोजन होंगे। साथ ही घरों में छत्तीसगढ़ी पकवान चीला, ठेठरी, खुरमी, बड़ा, पूड़ी आदि बनेंगे।
बालोद में हरेली पर दिखेगी छत्तीसगढ़ के रंग
गुरुवार को छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना जिला मुख्यालय में जबर हरेली रैली निकालेगी। इसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झांकी दिखेगी। दूसरी बार यह आयोजन होगा। जिला मुख्यालय स्थित स्टेडियम से छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के साथ नगर का भ्रमण कर सरदार पटेल स्कूल मैदान में पहुंचेंगे। शाम को नवा बिहान सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। जिला संयोजक शशि भूषण चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ संस्कृति को बचाने जबर हरेली का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के नाचा-गाना सुवा, ददरिया, कर्मा, पंथी, राउत नाचा, गेड़ी, आंगा देव बस्तरिया नाचा, अखाड़ा, कमार नाच की प्रस्तुति के साथ गाड़ा बैल की रैली निकलेगी।
किसान खेती के उपकरण और बैलों की करेंगे पूजा, कुल देवता की पूजा की भी है परंपरा
गुंडरदेही. अंचल में हरेली पर्व गुरुवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। किसान लोक पर्व हरेली पर खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करेंगे। इस दिन कुलदेवता की पूजा करने की परंपरा है। हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी औजारों की साफ-सफाई कर पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया जाएगा। बैल, भैंस और गाय को बीमारी से बचाने बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है। गांव में यादव समाज के लोग सुबह से सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को नमक और बगरंडा की पत्ती खिलाते हैं।
अच्छी फसल की भी करेंगे कामना
जिले में कृषि का कार्य जीविकोपार्जन का माध्यम है। इसलिए घर-घर कृषि औजारों की पूजा करते हुए किसान अच्छी फसल की कामना करेंगे। सावन की अमावस्या को हरेली का पर्व मनाया जाता है। किसान डेढ़ से दो माह तक फसल लगाने का प्रारंभिक कार्य पूरा करने के बाद इस पर्व को मनाते हैं। ग्रामीण अंचलों में इस पर्व पर बांस की बल्लियों से गेड़ी तैयार की जाती है। गांव के सभी क्षेत्रों में गेड़ी बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। हरेली के दिन बच्चे गेड़ी चढ़कर कई तरह की प्रतियोगिताएं करेंगे। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।