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मुराद पूरी करनी है तो मामा-भांजा मंदिर में रखें आस्था और विश्वास

locationबालोदPublished: Jan 21, 2019 12:56:03 am

Submitted by:

Niraj Upadhyay

जिले का ऐसा गांव जहां के घरों में मांगलिक हो या शुभ काम, सार्वजनिक हो या व्यक्तिगत कोई नया काम शुरू करना है तो मामा-भांजा के इस मंदिर में नारियल के साथ शीश नवाना आवश्यक है। विश्वास है यहां हर मुराद पूरी होती है।

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मुराद पूरी करनी है तो मामा-भांजा मंदिर में रखें आस्था और विश्वास

गुरुर. ब्लॉक मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम छेडिय़ा में मामा-भांचा का मंदिर दशकों से ग्रामीणों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है। हर काम के पहले यानि घर-परिवार को में मांगलिक, शुभ काम हो या फिर तीज-त्यौहार, यहां तक व्यापारी भी दुकान खोलने से पहले मंदिर में मामा-भांजा के सामने शीष नवाते हैं उसके बाद ही काम की शुरूआत करते हैं।
मड़ई मेला के दिन पहुंचते हैं यहां हजारों श्रद्धालु
इसका उदाहरण देखने को मिला साल में एक बार लगने वाले छेडिय़ा के मड़ई मेला में। जहां ग्राम छेडिय़ा सहित भरदा, धोबनपुरी, बगदई, घोघोपुरी, कपरमेटा, पेंवरो, रमतरा, तार्री, सोरर सहित आसपास के दर्जनों ग्रामों के रहवासी पहुंचते हैं। हर बार की तरह ग्राम में मड़ई मेला का आयोजन इस बार भी धार्मिक केन्द्र मामा-भांचा मंदिर के पास रखा गया। माना जाता है कि ग्रामीणों का ईष्टदेव मामा-भांचा मंदिर एक धार्मिक स्थल है, जहां ग्रामीण श्रद्धाभाव से मामा-भांचा की पूजा-अर्चना कर परिवार व रोजगार के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। मंडाई के दिन भी आसपास से पहुंचे हजारों ग्रामीण जन मामा-भांचा के दरबार में पहुंचकर मत्था टेके।
साल में दो दिन होती है यहां विशेष पूजा
ग्रामीण अध्यक्ष सुकलाल ठाकुर, भगवान सिंह पटेल ने बताया मड़ई के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। श्रीफल सहित अन्य सामग्री अर्पित कर लोग मत्था टेके। रात्रि में मनोरंजन के लिए छत्तीसगढ़ी नाच पार्टी ग्राम ठाकुरटोला की प्रस्तुति होगी। ग्रामीण खोमेश्वर गुरुपंच, खोमन तारम, प्रेमप्रकाश साहू, टोपेश साहू, धर्मेन्द्र कुमार ने बताया मामा-भांचा ग्रामीणों के लिए आस्था का प्रतीक है। यहां वर्ष में एक बार दो दिनों तक विशेष पूजा होती है। मना जाता है यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इस दरबार को कोई खाली हाथ नहीं लौटता।
इसी वजह से यहां नहीं आई कभी प्राकृतिक आपदा
वरिष्ठ ग्रामीण जगदीश राणा, रामजीवन साहू, भगवान सिंह साहू सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया धोबनपुरी-बगदई मार्ग पर स्थित मामा-भांचा का मंदिर हमेशा से आस्था के साथ विश्वास का केन्द्र रहा है। मार्ग से गुजरने वाला हर नागरिक यहां दर्शन कर ही आगे बढ़ता है। जानकारी के अनुसार मामा-भांचा के कारण आज तक गांव में कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई है। विश्वास है कि यहां मांगी गई मुरादें भी पूरी होने से ग्रामीणों का ईष्ट देव है।
यहां आने वाले व्यापारियों के लिए भी है प्रथम पुज्य देव
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार मड़ई के दिन भी यहां पहुंचे व्यापारियों के लिए मामा-भांचा मंदिर प्रथम पूज्य हैं। यहां पहुंचा हर व्यापारी सबसे पहले श्रीफल भेंटकर मंगल कामना किए। इसके बाद ही अपनी दुकान पर बैठे। व्यापारियों का भी मानना है कि मामा-भांचा का दर्शन करने मात्र से व्यापार में लाभ मिलता है। मामा-भांचा मंदिर के पास ही लिंगो देवता की मूर्ति है जो ग्रामीणों सहित किसानों का वरिष्ठ देव भी है।
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